शास्त्रों में मानव जीवन के हर एक पहलू के बारे में बताया गया है। इनमें एक है स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक संबंध बनाने का समय। कुछ लोग बिना किसी समय के शारीरिक संबंध बना लेते हैं। लेकिन शास्त्रों में इसे पवित्र नहीं बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि अगर स्त्री-पुरुष सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक मान्यताओं के अनुसार शारीरिक संबंध बनाते हैं तो यह एक पवित्र घटनाक्रम होता है। शास्त्रों में विवाह के बाद ही स्त्री-पुरुष के शारीरिक संबंधों को पूर्ण रूप से शुद्ध माना गया है।
ब्रह्मवैवर्तपुराण में कई ऐसे दिनों के बारे में बताया गया है, जिनमें स्त्री-पुरुष को संभोग नहीं करना चाहिए। आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे दिनों की जानकारी, जिनमें स्त्री और पुरुष को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि जिस दिन स्त्री-पुरुष व्रत रखते हैं, उस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से देवी-देवता नाराज होते हैं। व्रत के अलावा हिंदू धर्म में नवरात्रि का पवित्र त्योहार भी मनाया जाता है। नवरात्रि के दिनों में स्त्री-पुरुष को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
अमावस्या के दिन के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। अगर अमावस्या के दिन शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं तो वैवाहिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं पूर्णिमा के दिन भी दंपत्ति को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, इसे भी अशुभ माना जाता है।
हिंदू कैलेंडर के चतुर्थी और अष्टमी के दिन भी दंपत्ति को संभोग नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा करना अशुभ माना जाता है। वहीं पुराणों में कहा गया है कि रविवार के दिन दंपत्ति को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। रविवार के दिन को भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। रविवार के दिन शारीरिक संबंध बनाना पाप कहलाता है। हिंदू धर्म में आने वाले श्राद्ध या पितृ पक्ष में भी पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।