Sunday, September 8, 2024
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क्यों छिदवाए जाते हैं बच्चों के कान, जानिए

SI News Today

कान छिदवाना हिंदू संस्कारों का हिस्सा है, हालांकि, अब ये फैशन का हिस्सा भी बन गया है। कान छिदवाने की रिवाज प्राचीन काल से चली आ रही है। कान छिदवाने की कई धार्मिक मान्यताएं हैं तो वहीं इसके पीछे कई स्वास्थ्य के लाभ भी छुपे हैं। कई लोगों का विश्वास है कि कान छिदवाने से दुष्ट आत्माओं को दूर रखने में मदद मिलती है। प्राचीन काल में बच्चों की याददाश्त बढ़ाने के लिए कान छेदने की प्रथा थी। ऐसी मान्यता थी कि कान छिदने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है। यहीं कारण था कि पहले बच्चा पैदा होने के एक साल के अंदर-अंदर उनके कान छिदवा दिए जाते थे।

कहा जाता है कि कान छिदवाने से कई लाभ मिलते हैं। कान छिदवाने के लाभों के बारे में जानकार आपको जरूर हैरानी हो सकती है। कान छिदवाने के बारे में महान ऋषि सुश्रुत का कहना है कि कान छिदवाने से दिमाग का विकास होता है। कान के निचले में एक प्वाइंट होता है, जिसका संबंध मस्तिष्क के एक भाग से होता है। जब कान छिदवाया जाता है तो दिमाग का यह हिस्सा एक्टिव बनता है, जिससे दिमाग की शक्ति बढ़ जाती है।

कान छिदवाने से लकवा की बीमारी नहीं लगती है। वहीं कान छिदवाने से साफ सुनने में मदद भी मिलती है।

कान छिदवाने से आंखों की रोशनी में काफी बढ़ोतरी होती है, जहां से कान छिदवाया जाता है, वहां कान के निचले हिस्से पर केंद्रीय बिंदु है। जिसका संबंध नसों से होता है। इसी बिंदु को दबाने पर आंखों की रोशनी में सुधार होता है।

कान छिदवाने से पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है। कानों के निचले हिस्से का संबंध भूख लगने से होता है। कान छिदवाने से पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है। ऐसा करने से मोटापा कम होता है।

कान छिदवाने के बारे में एक्यूपंक्चर का कहना है कि जब कान छिदवाये जाते हैं तो इसका दबाव ओसीडी पर पड़ता है, जिसके कारण घबराहट कम होती है वहीं मानसिक बीमारियों दूर हो जाती हैं।

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