Sunday, December 22, 2024
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परीक्षा और पैमाने

SI News Today

इस बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) की बारहवीं की परीक्षा के नतीजों की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि पंद्रह साल बाद कला वर्ग के किसी परीक्षार्थी ने पूरे देश में अव्वल मुकाम हासिल किया। इसके अलावा उत्तीर्ण प्रतिशत में इस बार भी लड़कियों ने बाजी मारी। आमतौर पर विज्ञान और वाणिज्य वर्ग के परीक्षार्थी अव्वल आते रहे हैं। लेकिन इस बार कला वर्ग की छात्रा रक्षा गोपाल ने 99.6 प्रतिशत अंकों के साथ सर्वोच्च स्थान हासिल कर विषयों की कमतरी-बेहतरी को लेकर बनी पुरानी धारणा को तोड़ दिया। रक्षा ने राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र और अंग्रेजी में शत-प्रतिशत अंक अर्जित किए। रक्षा ने कहा है कि वे राजनीति शास्त्र लेकर आगे पढ़ना चाहती हैं और देश में रह कर ही काम करना पसंद करेंगी। चंडीगढ़ की विज्ञान वर्ग की भूमि सावंत डे 99.4 प्रतिशत अंक पाकर दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि इसी शहर की कामर्स की छात्रा मन्नत लूथरा और छात्र आदित्य जैन बराबर-बराबर यानी 99.2 प्रतिशत अंक पाकर तीसरे स्थान पर रहे। इन विद्यार्थियों की यह सलाह गौरतलब है कि छात्र अगर सोशल मीडिया के पचड़ों से दूर ही रहें तो अच्छा।

यों पिछले साल की तुलना में परिणाम एक प्रतिशत कम आया है, लेकिन उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है। 87.5 फीसद लड़कियां और 78 फीसद लड़के ही इस बार उत्तीर्ण हुए, जबकि 2016 में 88.58 फीसद लड़कियां और 78.85 फीसद लड़के उत्तीर्ण हुए थे। लेकिन इस बार 95 फीसद से ज्यादा अंक पाने वालों की संख्या बढ़ी है। देश में कुछ बरसों से सरकारी विद्यालयों को कोसने और निजी क्षेत्र के विद्यालयों के गुण गाने का एक चलन चला हुआ है। मगर सरकारी स्कूलों का नतीजा निजी स्कूलों की तुलना में सात-आठ फीसद बेहतर आया। जहां निजी स्कूलों का उत्तीर्ण प्रतिशत 82.29 प्रतिशत रहा, वहीं निजी स्कूल 79.27 प्रतिशत पर ही अटक गए। सबसे ज्यादा उत्तीण प्रतिशत जवाहर नवोदय विद्यालयों का रहा। जिस प्रकार के नतीजे आए हैं उससे एक अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि दिल्ली समेत दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रवेश की मारामारी तो रहेगी, कटआॅफ प्रतिशत बढ़ सकता है, क्योंकि तिरपन हजार से ज्यादा छात्रों को नब्बे प्रतिशत से ज्यादा अंक मिले हैं। स्वाभाविक है कि सभी को ऊंची शिक्षा के लिए प्रवेश चाहिए होगा।

इससे पहले कामर्स विषय में प्रवेश लेने की लालसा ज्यादा रहती थी, क्योंकि उदारीकरण के दौर में यह विषय कैरियर के लिहाज से ज्यादा उपयोगी व ज्यादा संभावनापूर्ण माना जाता है। लेकिन इस बार कला वर्ग के विषयों में भी प्रतिद्वंद्विता बढ़ने के आसार हैं। संघ लोक सेवा आयोग और प्रांतीय लोक सेवा आयोगों की परीक्षाओं में बैठने और नौकरशाही का हिस्सा बनने की ललक भी इधर मध्यवर्ग में बढ़ी है। जो विद्यार्थी किसी कारणवश फेल हो जाते हैं वे और उनके परिवार मायूसी तथा कई बार निरर्थकता-बोध से घिर जाते हैं। लेकिन किसी एक वर्ष की परीक्षा ही जीवन का सबकुछ नहीं है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने भी सफल न हो पाने वाले विद्यार्थियों को सलाह दी है कि वे हिम्मत न हारें। अनुत्तीर्ण छात्रों के लिए बोर्ड ने मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किए हैं और इसके लिए पांच दर्जन से अधिक काउंसलर भी नियुक्त किए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि जो इस बार नाकाम रह गए हैं वे अगली बार कामयाब होंगे।

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