उत्तर प्रदेश में पुलिस वालों ने अपने ही अधिकारी पर हमला कर दिया। बांदा जिले के गिरवां थाने के पुलिसकर्मी रेत से भरे ट्रकों से अवैध वसूली कर रहे थे। उसी वक्त पुलिस मुख्यालय (लखनऊ) द्वारा भेजा गया विशेष दल वहां पहुंच गया। रोकने पर थाने के पुलिसकर्मियों ने हमला बोल दिया और आईपीएस अधिकारी हिंमाशु के हाथ-पैर तोड़ डाले। इस मामले में थानाध्यक्ष विवेक प्रताप सिंह और एक सिपाही को निलंबित कर चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। रेत से भरे ट्रकों से पुलिस द्वारा पैसा वसूलने की शिकायत मिली थी। इसके बाद पुलिस महानिदेशक ने एक विशेष टीम को बांदा भेजा था। इस दल ने पुलिस वालों को वसूली करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था। पुलिस अधीक्षक शालिनी ने बताया कि ट्रकों से वसूली की शिकायत पर पुलिस महानिदेशक ने गोपनीय तरीके से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार और मोहित गुप्ता के नेतृत्व में पुलिस अधिकारियों के एक दल को गिरवां थाने भेजा था। टीम शनिवार (27 जनवरी) सुबह गिरवां पहुंची थी। उत्तर प्रदेश में रेत ले जा रहे ट्रकों से पुलिसकर्मियों द्वारा वसूली करने की घटना बेहद आम है। नियम-कायदे के तहत रेत ले जाने वालों को भी नहीं बख्शा जाता है। इससे तंग आकर डीजीपी से इसकी शिकायत की गई थी।
बांदा जिले में एनजीटी, उच्च न्यायालय और राज्य सरकार की कड़ी हिदायत के बाद भी रेत माफिया अपनी करतूतों से बाज नहीं आते हैं। स्थानीय प्रशासन हमेशा एक ही तरह के बयान देते हैं कि इनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मशीनों से रेत खनन न करने की सख्त हिदायत दे रखी है, लेकिन इसका असर खनन माफियाओं पर नहीं पड़ता है। वैध खदानों के अलावा भी यहां पुलिस और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से शाम ढलते ही केन और बागै नदियों से अवैध तरीके से खनन का काम शुरू कर दिया जाता है। विशेष पुलिस टीम भेजे जाने से पहले ट्रक मालिकों ने पुलिस अधीक्षक शालिनी के समक्ष हाजिर होकर पुलिस पर रेत से लदे ट्रकों से अवैध वसूली करने का आरोप लगाया था। उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही थी। एनजीटी में याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता बृजमोहन यादव ने बताया था कि बदौसा क्षेत्र में पुलिस के साथ साठगांठ से माफिया रात भर बागै नदी से मशीनों के माध्यम से रेत निकालते रहते हैं और प्रशासन की ओर से छापेमारी तक नहीं की जाती है। मालूम हो कि नोएडा में अवैध रेत खनन के मामले ने तूल पकड़ा था। उसके बाद एनजीटी ने खनन पर रोक लगा दी थी।