आम बजट 1 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा। इस बजट से सभी सेक्टर्स को कुछ न कुछ उम्मीदें हैं। भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स को 35 फीसदी से घटाकर 21 फीसदी कर दिया, ताकि नौकरियों की संख्या बढ़ाई जा सके। वहीं दावोस से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक खुला बाजार (फ्री मार्केट) बनाने का दावा किया। आईटी सेक्टर की बात करें तो उसे भी वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। दरअसल भारत में कई बड़ी विदेशी कंपनियां हैं, जिनके साथ भारतीय कंपनियों को मुकाबला करना पड़ रहा है। कम्पटीशन लगातार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि भारतीय कंपनियां चाहती हैं कि बीसीडी (बाइनरी कोडेड डेसिमल) पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी को बढ़ा दिया जाए। कंपनियां इसमें 20 फीसदी की बढ़ोतरी चाहती हैं। इसके अलावा कंपनियां चाहती हैं कि पीसीबी पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी भी बढ़ाई जाए। पीसीबी एक खास तरह की चिप होती है इसका यूज इलेक्ट्रोनिक प्रॉडक्ट्स में किया जाता है।
इसके अलावा आईटी कंपनियों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली अलग से एक कोष बना सकते हैं। इस कोष को सॉफ्टवेयर कंपनियां इसलिए चाहती हैं कि राज्य सरकार द्वारा लिया जाने वाला सीजीएसटी उन्हें 100 फीसदी वापस मिल जाए। इसके अलावा कंपनियां कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और होम एप्लायंसेज के बीडीसी पर भी लगने वाली कस्टम ड्यूटी में भी 20 फीसदी की बढ़ोतरी चाहती हैं। ऐसा होने से भारत में इंपोर्ट में कमी आएगी और घरेलू कंपनियों को इसका फायदा मिलेगा। साथ ही भारत में निवेश भी बढ़ेगा। इसके अलावा भारतीय आईटी कंपनियां पीसीबी पर भी 10% कस्टम ड्यूटी लगाने की मांग कर रही हैं।
टीसीएस, कॉग्निजेंट, इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल जैसी आईटी कंपनियां अब आगामी आम बजट की ओर देख रही हैं, जिससे उन्हें राहत की उम्मीद है। आईटी सेक्टर को उम्मीद है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ क्वालिटी टेक्नोलॉजी टैलेंट को भी प्रोत्साहन मिले। ओटोमेशन से मानवीय टैलेंट की मांग कम होने का खतरा है। सरकार को डिजिटल इंडिया के लिए टेक टैलेंट का एक बाजार तैयार करना चाहिए। कई विकासशील देश भारत के निजी सेक्टर से आईटी टैलेंस हासिल कर सकते हैं।