उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा भगवान भरोसे चल रहा है। संभल जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसे सुनकर आप हिल जाएंगे। संवेदनहीनता की इंतेहा देखने को मिली। जब लाश ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से परिवार को न एंबुलेंस दिया गया और न ही स्ट्रेचर। व्यक्ति को भतीजे की लाश को कंधे पर लादकर अस्पताल परिसर से ले जाना पड़ा। जबकि लाश को अस्पताल से घर भेजने के लिए एंबुलेंस की निःशुल्क सुविधा है। सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी खबरों के वायरल होने के बाद भी अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। उल्टे अस्पताल प्रशासन अपने बचाव के लिए मृतक के परिवारवालों पर ही ठीकरा फोड़ रहा है। अस्पताल का कहना है कि परिवार ने बगैर औपचारिकता पूरी किए ही शव को कब्जे में ले लिया।
हुआ दरअसल यूं कि बहजोई के सादातबाड़ी गांव निवासी 18 वर्षीय सूरजपाल बोरवेल साफ कर रहे थे। इस दौरान गड्ढे में गिर जाने से बुरी तरह घायल हो गए। गांववालों ने किसी तरह निकाला तो फिर बहजोई स्थित अस्पताल लेकर पहुंचे। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने युवक को मृत घोषित कर दिया। लाश को घर ले जाने के लिए परिवारवालों ने कई बार एंबुलेंस का नंबर डायल किया। मगर एंबुलेंस नहीं मिली। इसके बाद परिवार ने अस्पताल प्रशासन से भी एंबुलेंस के लिए गुहार लगाई फिर भी किसी ने संज्ञान नहीं लिया। आरोप है कि चिकित्सकों ने कहा कि स्ट्रेचर मरे लोगों के लिए नहीं है।
उन्होंने तुरंत शव हटाने को कहा। जिसके कारण चाचा गोपीचंद को भतीजे सूरजपाल की लाश को कंधे पर लादकर ही अस्पताल से बाहर लाना पड़ा। बाद में बाइक से परिजन शव को घर ले गए। उधर अस्पताल प्रशासन ने मृतक के परिवारवालों के आरोपों को झूठा करार दिया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि परिवार के लोग बगैर औपचारिकता पूरी किए ही शव लेकर चले गए। जबकि अस्पताल ने मौत की सूचना पुलिस को दी थ। अगर औपचारिकता परिवार के लोग पूरी किए होते तो जरूर एंबुलेंस की सुविधा दी जाती।