Chatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2018: छत्रपति शिवाजी को मराठा साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है। इनका जन्म 19 फरवरी 1630 में पुणे में हुआ था। शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई और पिता का नाम शाह जी भोसलें था। उनकी माता अत्याधिक धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। घर के धार्मिक माहौल का शिवाजी के चित्त पर गहरा असर पड़ा था। दादोजी कोंडदेव से उन्होनें घुड़सवारी, तीरंदाजी और निशानेबाजी की शिक्षा ली थी। सन् 1627 ईं में पूरे भारत पर मुगल साम्राज्य का आधिपत्य हो गया था। उत्तर में शाहजहां, बिजापुर में सुल्तान आदिल शाह और गोलकोंडा में सुल्तान अबदुल्ला कुतुब शाह था। डेक्कन के सुल्तान सेना के लिए हमेशा से मुस्लिम अफसरों को ही प्रथामिकता देते थे। बंदरगाहों पर पुर्तगालियों का कब्जा था और थल पर मुगलों का अधिकार था। इसलिए उत्तरी अफ्रीका और मध्य एशिया से मुसलमान अधिकारियों को ला पाना मुमकिन नहीं था और डेक्कन के सुल्तानों को हिंदू नियुक्त करने पड़ते थे। दादोजी की 1647 में मौत के बाद शिवाजी ने अपने पिता से कहा कि वो उसे अपनी जगह यानी आदिलशाह के यहां सैनिक बन जाएं।
सन् 1646 में हिंदू शासक को हिंदुस्तान में अपना स्वतंत्र साम्राज्य स्थापित करने के लिए तीन चीजों की जरुरत थी कि वो शक्तिशाली साम्राज्यों की केंद्र से दूर हों, जमीन खेती के लिए अनउपयोगी हो और जंगलों से घिरा हुआ हो जिससे युद्ध या छापामारी की जा सके। 15 साल की उम्र में शिवाजी ने पहला युद्ध लड़ा और जीत का झंडा फहराया। शिवाजी की शक्ति को देखकर बीजापुर के सुल्तान ने शाहजी को कैद कर लिया, इसके बाद शिवाजी और उनकी भाई संभाजी ने जीते हुए किले को वापस कर दिया। शाहजी की मौत 1664-65 के मध्य में हो गई। इसके बाद शिवाजी के पुरंदर और जवेली की हवेली पर भी मराठा ध्वज लहराया गया। इसके बाद अफजल खान ने शिवाजी को मारने की कूटनीति बनाई और सुल्तान के खिलाफ कई लड़ाईयां लड़ी जैसे कोल्हापुर, विशालगढ़ की लड़ाई। इससे मुगल शिवाजी के सबसे बड़े दुश्मन हो गए।
छत्रपति ने औरंगजेब के शासन के दौरान मुगल साम्राज्य को चुनौती दी थी। सम्राट औरंगजेब ने शिवाजी के अधीन शभी किलों और क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन वह चतुन नेतृत्व के गुणों और गुरिल्ला रणनीति के कारण ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर पाया। शिवाजी इसके बाद निष्क्रिय हो गए। इसके बाद 1670 में फिर उन्होनें मुगलों के खिलाफ परचम लहराया। इस जीत के बाद जल्द ही 6 जून 1674 को मराठों के राजा के रुप में उनका अभिषेक किया गया। इसके बाद शिवाजी बीमारी के शिकार हो गए जिसमें 1680 में उनके प्राण निकल गए और साम्राज्य उनके पुत्र संभाजी ने संभाल लिया। छत्रपति शिवाजी का नाम हमेशा लोकगीत और इतिहास में एक महान राजा के रुप में लिया जाता रहेगा, जिसका शासन स्वर्ण युग माना जाता है।