मसूरी में कपड़ों का व्यापार करने वाले कश्मीरियों को स्थानीय व्यापारियों के समूह की ओर से शहर छोड़ने का फरमान दिया गया है। मसूरी में कश्मीरी व्यापारियों ने 11 महीनों के कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर दुकानें किराय से ली हैं, उन सबका कॉन्ट्रैक्ट 28 फरवरी को खत्म हो जाएगा। मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन चाहता है कि 28 फरवरी के बाद सभी कश्मीरी शहर छोड़कर चले जाएं। हालांकि अभी तक एसोसिएशन ने कश्मीरी व्यापारियों को लिखित में कोई नोटिस नहीं दिया है, लेकिन मौखिक रूप से उन्हें 28 फरवरी तक की समयसीमा दी गई है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि स्थानीय व्यापारी चाहते हैं कि कश्मीरी व्यापारी उनका शहर छोड़कर चले जाएं। इस समस्या के समाधान के लिए कश्मीरी व्यापारियों ने हाल ही बीजेपी विधायक गणेश जोशी से मुलाकात की और मदद मांगी। 21 फरवरी को फयाज अहमद मलिक नाम के कश्मीरी व्यापारी ने विधायक जोशी और उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट को लेटर लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, ‘क्या हम इस देश का हिस्सा नहीं हैं? अगर हम हिस्सा हैं तो हम पर मसूरी छोड़ने का दबाव क्यों बनाया जा रहा है?’ मसूरी में कपड़ों का व्यापार कर रहे एक अन्य व्यक्ति अल्ताफ हुसैन ने कहा, ‘हम केवल दिन गिन रहे हैं। हम दुकान के मालिकों के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। अगर वे हमसे दुकान खाली करने को कहेंगे तो हमें करना पड़ेगा, हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।’
वहीं इस मामले में गणेश जोशी ने जून 2017 की घटना की जिक्र करते हुए कहा कि कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनके कारण स्थानीय व्यापारी चाहते हैं कि कश्मीरी मसूरी छोड़कर चले जाएं। आपको बता दें कि पिछले साल जून में चैम्पियंस ट्रॉफी क्रिकेट के फाइनल मैच के बाद मसूरी में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। उस वक्त कुछ स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि उन्होंने मुस्लिम युवाओं को ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए सुना था। इस घटना के बाद मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने कश्मीरी व्यापारियों को शहर से हटाने का फैसला किया था। हालांकि मसूरी पुलिस ने बाद में यह स्पष्ट भी कर दिया था कि कथित घटना में कोई कश्मीरी शामिल नहीं था। पुलिस ने जानकारी दी थी कि तीन युवाओं ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए थे, जिनमें से दो युवा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से थे।
इस मामले को सुलझाने के लिए जम्मू कश्मीर की सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा था। कश्मीर की सरकार ने उत्तराखंड की सरकार से इस मामले में कश्मीरी व्यापारियों को न परेशान करने का आश्वासन मांगा था। एसोसिएशन अध्यक्ष अग्रवाल का कहना है कि वह नए कश्मीरी व्यापारियों को मसूरी से जाने के लिए कह रहे हैं, ना कि पुराने व्यापारियों को।