गुड़गांव में 11 नवंबर, 2007 को 14 वर्षीय अकाश यादव नाम के बच्चे ने अपने स्कूल के साथी अभिषेक त्यागी की हत्या कर दी थी। इस हत्या के बाद अकाश को तीन साल जुवेनाइल होम में रखा गया था। अब अकाश 24 साल का हो चुका है और वह एक आपराधिक गैंग का नेता बन गया है। हत्या के पिछले आरोप में अकाश हरियाणा की दो जेलों में समय बिता चुका है। अकाश गुड़गांव के एक प्रॉपर्टी डीलर का बेटा है। 11 नवंबर, 2007 के करीब सुबह 9:45 बजे प्रॉपर्टी डीलर आजाद सिंह यादव सुबह की सैर कर वापस घर आए। अजाद ने टीवी के टेबल की ऊपर वाली ड्रॉर खोली तो उन्होंने देखा कि उनकी पिस्टल गायब थी। उन्होंने एक हफ्ते पहले ही वो पिस्टल खरीदी थी।
गुड़गांव में उस समय प्रॉपर्टी का बिजनेस काफी चलता था और इसे लेकर कई हत्याएं भी हुईं। तीन साल पहले आजाद भमरौली स्थित अपने पैतृक घर को बेचकर परिवार के साथ गुड़गांव आकर रहने लगे थे। उन्होंने अपने दोनों बेटों 14 वर्षीय अकाश, 11 साल के सुमित का यूरो इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला करवाया था। टीवी की ड्रॉर में जब आजाद को पिस्टल नहीं मिली तो उन्होंने बच्चों के स्कूल में फोन कर पिस्टल के बारे में पूछा लेकिन दोनों ने ही गायब हुई पिस्टल के बारे में पता होने से इनकार कर दिया। पिस्टल को लेकर चिंतित आजाद अपने ज्योतिषी के पास मेवात गए और ज्योतिषी ने उनसे कहा कि घर जाओं तुम्हें पिस्टल अपनी जगह पर ही मिलेगी।
आजाद घर वापस आ रहे थे कि उन्हें बच्चों के स्कूल से फोन आया कि उनके बड़े बेटे अकाश ने स्कूल के एक लड़के को गोली मार दी है। अकाश ने अपने एक साथी विकास यादव के साथ मिलकर अपने दुश्मन अभिषेक त्यागी को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। पिछले कुछ सालों में कई गैंगस्टर जन्मे हैं जिनमें से एक अकाश भी है। खबर के अनुसार, अकाश के भाई सुमित ने कहा “हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर मंजीत के लिए भाई अकाश एक दिन बीड़ी लेकर आए थे। इसके बाद दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती हो गई। धीरे-धीरे भाई ने सबका दिल जीत लिया और वे एक नेता के तौर पर देखे जाने लगे। कई गैंग्स के लीडर ने भाई को प्रेरित किया कि वे उनके ग्रुप को ज्वाइन कर लें।”
एक साल जेल में रहने के बाद अकाश बेल पर बाहर आया और उसके परिवार वाले वापस अपने गांव रहने चले गए। फरीदाबाद के ओपन स्कूल से उसने दसवीं की परीक्षा दी और फिर वह ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए रेगुलर स्कूल में पढ़ने चला गया। एक महीने बाद अभिषेक के दोस्त ने उसी स्कूल में दाखिला ले लिया और उसने सभी को अकाश के बारे में बता दिया। 12वीं पास करने के बाद उसने लॉ कॉलेज में दाखिला लिया। रिपोर्ट के अनुसार, अकाश की मां ने बताया कि जब वह 19 साल का था तो वह अपनी पढ़ाई छोड़कर वापस आ गया।
गैंगस्टर उसे अपनी गैंग में शामिल करने के लिए संपर्क कर धमकी देते थे कि या तो गैंग में शामिल हो जाओ या इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। वह घर में रहता और अपने कमरे से बाहर नहीं आता। वह डिप्रेशन में चला गया था। सुमित ने बताया कि भाई ने इसके बाद फैसला लिया कि वह खुद का गैंग बनाएगा। अकाश के गैंग ने रंगदारी का काम शुरु किया। इसके बाद सुमित ने भी भाई के साथ अपराध की दुनिया में कदम रख दिया और दोनों भाइयों ने मिलकर हत्या और रंगदारी जैसे अपराधों को अंजाम दिया।