आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने से खफा तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने बुधवार शाम को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ लिया, लेकिन गठबंधन को बचाने के लिए एक बार फिर से सुलह की कोशिशें तेज हो गईं हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद से फोन पर बात की है। वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल टीडीपी के दोनों मंत्री आज शाम 6 बजे पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे।
टीडीपी के जवाब में आंध्र प्रदेश में नायडू सरकार में भाजपा के दो मंत्रियों के. श्रीनिवास राव और टी. माणिकयला राव ने भी इस्तीफा देने के अपने फैसले की घोषणा की। नायडू ने कहा, ‘जब उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा तो इसमें बने रहने में कोई तुक नहीं। मेरे लिए एकमात्र एजेंडा राज्य के हितों की सुरक्षा करना है।
आंध्र प्रदेश में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर राजनीति गहरा गई थी। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर-कांग्रेस ने केंद्र को पांच अप्रैल तक विशेष राज्य की घोषणा का अल्टीमेटम दे रखा है। ऐसा नहीं होने पार्टी के सभी नौ सांसद और विधायक संबद्ध सदनों से इस्तीफा दे देंगे। इस अल्टीमेटम के बाद राज्य में कौन आगे की लड़ाई शुरू हो गई थी। सत्तारूढ़ टीडीपी को मजबूरी में इस लड़ाई में कूदना पड़ गया। यही मजबूरी उसके गले की फांस बनकर राजग से अलग होने का कारण बन गया।
नाराजगी की असल वजह
केंद्र सरकार राज्यसभा में दिए आश्वासनों को पूरा करने में नाकाम रही। चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन इसलिए किया गया था, ताकि आंध्र प्रदेश को न्याय मिल सके। लेकिन ऐसा हो न सका। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू दर्जनों बार दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिले। फिर भी उनके अनुरोध पर गौर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश को अवैज्ञानिक तरीके से बांटा गया था। इससे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चार साल से राज्य के लोग अपने साथ इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन बजट में भी आंध्र को फंड नहीं दिए गए।