त्रिपुरा में 25 सालों की सत्ता गंवाने के बाद सीपीएम के अंदर फेरबदल का दौर शुरू हो गया है। हार से सबक लेते हुए पार्टी ने पश्चिम बंगाल संगठन में बड़े बदलाव किये हैं। इस बदलाव के तहत पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य समेत पार्टी के 20 वरिष्ठ नेताओं को राज्य समीति से बाहर कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल के सीपीएम महासचिव सूर्ज्य कांत मिश्रा ने शुक्रवार को मीडिया से बताया कि, ‘तीन दिवसीय स्टेट कॉन्फ्रेंस के बाद ये फैसला लिया गया है कि संगठन में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जगह और तरजीह दी जाए। इसी के तहत पार्टी की राज्य समीति से 20 वरिष्ठ नेताओं को बाहर किया गया है।’ सीपीएम महासचिव ने बताया कि, ‘2015 में जब आखिरी बार ऐसा कॉन्फ्रेंस हुआ था तब ये तय किया गया था कि समीति में सदस्य 78 साल से कम उम्र के होने चाहिए। 80 लोगों की राज्य समीति में कई नेता इस उम्र सीमा से अधिक थे। इस बार अदिकतम उम्र सीमा को तीन साल और कम कर दिया गया है। इस नए फैसले के आधार पर 20 वरिष्ठ नेताओं को राज्य समीति से बाहर किया जा रहा है। इन लोगों की जगह युवाओं को मौका दिया जाएगा।’
बता दें कि पिछले कुछ सालों से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने खराब सेहत के चलते खुद को पार्टी की तमाम गतिविधियों से अलग कर रखा है। इसके बाद भी वह राज्य समीति के सदस्य थे। हालांकि पूर्व सीएम अहम चुनावों में पार्टी के लिए स्टार प्रचारक का काम भी देखते आए हैं। अब नए फरमान के बाद बुद्धदेव भट्टाचार्य और उनकी ही तरह असीम दासगुप्त, मदन घोष और श्यामल चक्रवर्ती जैसे नेताओं को राज्य समीति से आराम दे दिया गया है। इस बार राज्य समीति के सदस्यों के लिए अधिकतम आयु सीमा को 75 साल रखा गया है। सिर्फ सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य बिमन घोष ही इस उम्र सीमा से अधिक हैं जिनकी उम्र 77 साल है।
सीपीएम का मानना है कि वो युवाओं को अपने साथ लाने के लिए राज्य में संघर्ष कर रही है। पार्टी के अपने सर्वे के अनुसार युवा वोटर टीएमसी की तरफ ज्यादा आकर्षित हैं। युवाओं को अपने पाले में लाने के लिए ही ज्यादा से ज्यादा युवाओं को संगठन में अहम स्थान देने की कोशिश की जा रही है।