गोरखपुर उप चुनाव के नतीजे आए चार दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी भी लोगों की जुबां पर गोरखपुर में बीजेपी की हार के चर्चे हैं। हालांकि गोरखपुर मठ में अप्रत्याशित शांति है। आगामी सोमवार (19 मार्च) को योगी आदित्यनाथ सरकार के एक साल पूरे होने जा रहे हैं, कई जगह समारोह होने हैं, बावजूद इसके गोरखपुर में इसके चर्चे की जगह शांति है। शायद यह चुनावी हार का परिणाम है। वैसे गोरक्षपीठ ने इन चुनावों से अपने को किनारे कर लिया है और पीठ की तरफ से कहा गया है कि पीठ की तरफ से कोई भी चुनाव नहीं लड़ रहा था, इसलिए मठ में कोई चुनावी दफ्तर भी नहीं खोला गया था। बता दें कि 1989 से लेकर 2018 तक योगी के गुरू अवैद्यनाथ से लेकर योगी आदित्यनाथ तक गोरक्षपीठ के महंथ ही गोरखपुर का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
शहर में चर्चा इस बात की भी है कि 2019 के आम चुनावों से पहले बीजेपी को गोरखपुर-फूलपुर चुनावों से एक सीख मिली है। मठ से जुड़े द्वारिका तिवारी का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपना अधिक समय दिया और कुल 16 रैलियां कीं मगर आस्था के नाम पर लोगों का वोट बीजेपी को नहीं मिला क्योंकि लोगों को मालूम था कि बाबा खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने हार के पीछे बीजेपी संगठन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसमें संगठन का दोष है, ग्राउंड पर संगठन के लोगों को तो जाना चाहिए था। मठ से जुड़े एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “बाबा अकेले क्या-क्या करें?” उन्होंने कहा कि लोगों में इस बात को लेकर रोष था कि संगठन ने चुनावों में असल भूमिका नहीं निभाई।
इसके अलावा गोरखपुर संसदीय सीट के तहत आने वाले सभी पांचों विधान सभा क्षेत्रों में लोगों ने कहा कि योगी आदित्यनाथ पूज्यनीय हैं, हीरा हैं मगर जीएसटी और कर्जमाफी के नाम पर लोगों ने बीजेपी की आलोचना करनी शुरू कर दी। दलित उत्पीड़न और अधूरे वादे भी बीजेपी की आलोचना के मुद्दे रहे। गोरखपुर नगर विधानसभा, जहां बीजेपी को सबसे ज्यादा वोट मिले, वहां के बालापोर रोड स्थित एक चाय की दुकान में बैठे मोहम्मद तौफिक ने कहा, “पब्लिक बेवकूफ नहीं है। जब निगम पार्षद से लेकर विधायक, सीएम से लेकर पीएम तक सभी बीजेपी के हैं तो फिर इस शहर में गोरखपुर मठ से मेडिकल कॉलेज तक की सड़क का मरम्मति का काम एक साल में भी क्यों नहीं पूरा हो सका?” बगल में खड़े दिलीप गिरी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि काम नहीं हो रहा है, एम्स भी बन रहा है, फर्टिलाइजर प्लांट भी आ रहा है लेकिन प्वाइंट ये है कि पब्लिक को यह बदलाव महसूस नहीं हो पा रहा है।
गोरखपुर के ग्रामीण इलाकों में लोगों में जबर्दस्त रोष है। इन इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है। कैम्पियरगंज के पीपीगंज इलाके की अंबेडकर नगर दलित बस्ती में लोगों में अंबेडकर की प्रतिमा गिराए जाने से गुस्सा है। उनका ये भी आरोप था कि योगी सरकार बनने के बाद ऊंची जाति के ठाकुर अक्सर अपना वर्चस्व दिखाते हैं। एक शख्स ने कहा कि इसकी शिकायत भी हम कहां करें क्योंकि सीएम ने सभी थानों में ठाकुर थानेदारों की बहाली की गई है। सुधीर कुमार नाम के युवक ने कहा कि जब हम थाने पहुंचते हैं तो हम बेइज्जत किए जाते हैं। हालांकि, पीपीगंज के एसएचओ देवेंद्र कुमार सिंह इस तरह के आरोपों को खारिज करते हैं। कैमेपियरगंज में एसपी उम्मीदवार 14,310 वोटों से जीते थे।