एक वर्ष पूरा होने पर योगी सरकार लोकभवन में जश्न मना रही थी लेकिन, कोपभवन में बैठे सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर इसमें शामिल नहीं हुए। अपनी ही सरकार से खफा राजभर को मनाने संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना गए। भाजपा के शीर्ष नेताओं के फोन आए लेकिन, राजभर नहीं माने। उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप मढ़े और जब पूछा गया कि एक वर्ष में सरकार को दस में कितना नंबर देंगे तो तपाक से तीन नंबर देते हुए सरकार को फेल कर दिया।
राजभर से पत्रकारों ने पूछा कि आप आखिर समारोह में क्यों नहीं गए? राजभर ने कहा, ‘अधिकारी मनमाने हैं और गरीब की आवाज सुनी नहीं जा रही है। यह सरकार केवल भाषणबाजी में लगी है। कल तक ये लोग सपा की सरकार को जुमलेबाज सरकार कहते थे और ये क्या किसी जुमलेबाज से कम हैं राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अजगरा विधायक कैलाश सोनकर समारोह में शामिल हुए थे। उनसे पूछा गया कि आपके विधायक तो गए हैं तो उन्होंने कहा कि मैंने किसी को रोका नहीं है। सवाल आया कि अगर आपके विधायक टूटकर भाजपा में शामिल हो गए तो? राजभर ने कहा, भाजपा के लोग कुछ भी कर सकते हैं। पर, दावा किया कि ‘हमें तो कोई तोड़ नहीं सकता। हमारी पार्टी नहीं तोड़ सकता।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन किया। समझौते में आठ सीटें दी और राजभर की पार्टी के चार विधायक जीते। राजभर को सरकार में जब पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनाया गया तभी से वह असंतुष्ट हो गए। उन्हें भारी भरकम विभाग की उम्मीद थी। कुछ समय बाद उनके तेवर दिखने लगे। गाजीपुर डीएम से उनकी पहली नाराजगी सार्वजनिक हुई और तब राजभर ने कहा, या तो डीएम हटेंगे या वह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे। न डीएम हटे और न ही राजभर ने इस्तीफा दिया।
मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद समझौता तो गया पर मौके-बे-मौके राजभर की टीस उभरती रही। निकाय चुनाव में जब राजभर ने चार नगरों के लिए टिकट मांगे और नहीं मिला तो उनके बगावती सुर दिखने लगे। करीब दो माह पहले राजभर में वाराणसी की रैली में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और तबसे यह सिलसिला जारी है। राज्यसभा चुनाव में भी राजभर ने भाजपा के साथ न जाने की बात कह दी है।