बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर से निशाने पर लिया है. सोमवार (26 मार्च) को पत्रकारों से मायावती ने कहा कि पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल में बीजेपी ने केवल दलितों के नाम पर नाटक किया है. बसपा सुप्रीमो ने कहा, ‘मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीआर आंबेडकर की बात करते हैं, लेकिन उनकी मानसिकता बीआर आंबेडकर के बिल्कुल खिलाफ है. यही वजह है कि बीजेपी और आरएसएस को पिछले दशक में सत्ता से बाहर रहना पड़ा था.’
मायावती यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने कहा, ‘बीजेपी बाबा साहेब आंबेडकर के नाम का नारा लगाती है, लेकिन उस समाज से जुड़े लोगों पर दबाव बनाते हैं. इस बार के राज्यसभा चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर को हारने के लिए बीजेपी ने जाल बिछाया था. मायावती ने स्पष्ट रूप से कहा कि बीएसपी-एसपी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी के कुशासन के खिलाफ लड़ रही है.
मायावती ने बीएसपी विधायकों और जोनल कॉआर्डिनेटरों के साथ लखनऊ में बैठक के दौरान साफ तौर से बीएसपी-एसपी कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर काम करने को कहा. इस दौरान बीएसपी प्रमुख मायावती ने बीजेपी दलित और गरीब विरोधी है. लोकसभा में BJP को सिर्फ 31 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी की सोच सांप्रदायिक पार्टी है. साजिश रचकर इसने राज्यसभा चुनाव में दलित प्रत्याशी को हराया है. एसपी-बीएसपी गठबंधन से बीजेपी घबराई हुई है.
कभी नहीं टूटा था सपा और बसपा का गठबंधन : उप मुख्यमंत्री
इससे पहले उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने बीते 25 मार्च को कहा कि भाजपा को सत्ता में नहीं आने देने के लिये एकजुट हुई सपा और बसपा का गठबंधन, दरअसल कभी टूटा ही नहीं था. शर्मा ने उत्तरप्रदेश के सोनभद्र के मोहिउद्दीपुर कोन में आयोजित विकलांग सम्मान समारोह से इतर संवाददाताओं से बातचीत में आगामी लोकसभा चुनाव के लिये सपा और बसपा के गठबंधन के बारे में पूछे गये सवाल पर कहा कि इन दोनों पार्टियों का गठबन्धन तो कभी टूटा ही नहीं था.
उन्होंने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार थी तब सपा और बसपा दोनों उसके साथ थे. हालांकि शर्मा ने कहा कि यह खेद का विषय है कि बसपा मुखिया मायावती पहले सपा को गुंडों की पार्टी कहती थीं और अब उसी पार्टी के साथ गठबंधन कर रही हैं.