Sunday, December 22, 2024
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अरविंद केजरीवाल को निलंबित बीजेपी सांसद ने बताया ‘कायर’, जानिए मामला…

SI News Today

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली से औपचारिक तौर पर माफी मांग ली है। जेटली और केजरीवाल ने मानहानि के मामले को निपटाने के लिए कानूनी पहल भी शुरू कर दी है। इस बीच, भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद ने वित्त मंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने केजरीवाल को कायर तक करार दे दिया। कीर्ति ने ट्वीट किया, ‘अरविंद केजरीवाल कायर हैं। लेकिन, मैं अपनी बातों पर अब भी कायम हूं कि 400 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा अरुण जेटली के ही प्रबंधन में हुआ था। सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस, हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासक की ओर से किया गया फॉरेंसिक ऑडिट और सीबीआई द्वारा डीडीसीए अधिकारियों को दिया गया नोटिस इस ओर इशारा करते हैं। बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी।’ बता दें कि लगातार पार्टी के खिलाफ बयान देने के कारण कीर्ति आजाद को भाजपा से निलंबित कर दिया गया है। वह अक्सर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की आलोचना करते रहते हैँ।

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मानहानि के एक मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली से 2 अप्रैल को औपचारिक तौर पर माफी मांग ली। इसके अलावा AAP नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह, आशुतोष, दीपक वाजपेयी और राघव चड्ढा ने भी भाजपा के वरिष्ठ नेता से माफी मांगी है। केजरीवाल समेत छह आप नेताओं ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर डीडीसीए में रहते हुए भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। इससे नाराज जेटली ने केजरीवाल समेत कुमार विश्वास, संजय सिंह, राघव चढ्डा, आशुतोष और दीपक वाजपेयी पर 10 करोड़ रुपये के आपराधिक मानहानि का दावा ठोका था। अरुण जेटली 2000 से 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष रह चुके हैं।

हालांकि, कुमार विश्वास ने जेटली से माफी नहीं मांगी है। उन्होंने जेटली को औपचारिक तौर पर कोई पत्र नहीं लिखा है, ऐसे में उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया चलती रहेगी। मतलब उनके खिलाफ केस चलता रहेगा। बता दें कि केजरीवाल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बिक्रम मजीठिया और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से पहले ही माफी मांग चुके हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा माफी मांगने के सवाल पर सफाई देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा था कि वह सत्ता में जनता का काम करने के लिए हैं, न कि कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए।

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