सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 अप्रैल) को एक वकील से कहा कि जम्मू क्षेत्र के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में कठुआ और जम्मू-कश्मीर बार इकाइयों द्वारा बुलाई गई हड़ताल के संबंध में वह सारे तथ्य रिकॉर्ड पर लाएं ताकि उसमें न्यायिक स्वत: संज्ञान लिया जा सके. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने वकील पी. वी. दिनेश से बार इकाइयों की गतिविधियों पर कुछ सामग्री मुहैया कराने के लिए कहा ताकि वह हड़ताल के मामले में स्वत: न्यायिक संज्ञान ले सके.
‘बलात्कार करने वालों का समर्थन कर रहा बार एसोसिएशन’
दिनेश ने स्थानीय बार एसोसिएशन के फैसले का हवाला दिया जो कथित रूप से कठुआ में नाबालिग बच्ची के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार करने वालों का समर्थन कर रहे हैं. पीठ ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर कुछ तो होना चाहिए. हमारे पास कोई रिकॉर्ड/सामग्री नहीं है.’’ उसने वकील से कहा कि वह अपनी दलीलों के समर्थन कुछ सामग्री तो पेश करें.
‘बार एसोसिएशन की कार्रवाई पर संज्ञान लें’
दिनेश ने कहा कि शीर्ष अदालत को बार एसोसिएशन की कार्रवाई पर संज्ञान ले और उन्हें तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह सुनिश्चित करने का निर्देश जारी करे कि कानून का शासन बना रहे. पीठ ने वकील को आश्वासन दिया कि यदि उसके समक्ष पर्याप्त सामग्री आई तो इस पर विचार किया जाएगा.
गौरतलब है कि कठुआ जिले के रसाना के जंगल से 17 जनवरी को आठ वर्षीय बच्ची का शव बरामद हुआ था. यह बच्ची एक सप्ताह से लापता थी. बच्ची को मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया था. उसे इस दौरान भूखा रखा गया और नशीली दवाइयां दी गई. बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसके हत्या कर दी गई.