कठुआ के रसाना गांव से करीब आठ किमी की दूरी पर गेहूं के एक खेत में आठ वर्षीय उस नाबालिग बच्ची की कब्र है जिसकी धार्मिक स्थल में गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी। नाबालिग बच्ची की करीब पांच फीट लंबी यह कब्र उसके अन्य रिश्तेदारों के ही पास में स्थित है। कब्र के दोनों छोरो पर दो बड़े पत्थर रखे हैं। मामले में बच्ची के ही एक रिश्तेदार ने बताया, ‘हमारी परंपरा के मुताबिक कब्र को तुंरत पक्का नहीं किया जाता। हम इसे तब पक्का करेंगे जब उसके माता-पिता अपने मवेशियों के साथ पहाड़ों का वार्षिक चक्कर लगाकर यहां लौट नहीं आते। बता दें कि इस साल 17 फरवरी को बच्ची का शव बरामद होने के बाद उसके पिता चाहते थे कि नाबालिग को रसाना में ही दफानाया जाए। रसाना वही जगह है जहां पीड़ित पिता ने एक दशक पहले सड़क दुर्घटना में तीन बच्चों और मां को दफनाया था।
रिपोर्ट के अनुसार गांव के लोगों ने बच्ची को दफनाने का विरोध किया। कहा गया कि बकरवाल मुस्लिम समुदाय इलाके से संबंध नहीं रखता है। मामले में नाबालिग बच्ची की दादी ने कहा, ‘तब करीब छह बजे थे। हम कब्र के लिए आधी खुदाई कर चुके थे, लेकिन गांव के लोग वहां पहुंचे और बच्ची से दफनाने से इनकार कर दिया। उन्होंने हमसे चले जाने को कहा। उन्होंने दस्तावेजों के हवाले से दावा किया कि वह जमीन हमारी नहीं है।’
पीड़ित पिता के एक रिश्तेदार के मुताबिक, बाद में बच्ची की कब्र के लिए जमीन देने वाले रिलेटिव ने बताया कि बच्ची के मां-बाप एक दशक पहले ही एक हिंदू परिवार से वहां जमीन खरीद चुके हैं, लेकिन कुछ कानूनी प्रक्रियाओं के चलते जमीन खरीदारी के कागज हासिल नहीं किए जा सके। इससे गांव को बहाना मिल गया और उन्होंने बच्ची को कब्र की जगह भी नहीं दी।