दलित उत्पीड़न को लेकर पूरे देश में महासंग्राम जारी है. इस बीच तीर्थ नगरी प्रयाग में भारतीय अखाड़ा परिषद ने दलित समुदाय के साधु को पहली बार महामंडलेश्वर बनाए जाने का फैसला किया है. अखाड़ा परिषद ने दलित समुदाय के संत कन्हैया प्रभु नंद गिरी को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला लिया है. दलित साधु कन्हैया प्रभु को आने वाले कुम्भ मेले में महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. इसी सिलसिले में सोमवार को कन्हैया प्रभु को परंपरा के मुताबिक जूना अखाड़े में शामिल किया गया. जानकारी के मुताबित किसी दलित को महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर अखाड़ा परिषद की गुप्त बैठक हुई थी, जिसमें यह फैसला लिया गया है.
आजमगढ़ के रहने वाले हैं संत कन्हैया प्रभु
कन्हैया प्रभु आजमगढ़ के रहने वाले हैं. वे जूना अखाड़े से दो सालों से जुड़े हुए थे. ज्योतिष रहे कन्हैया कुमार कश्यप अब कन्हैया प्रभु नंद गिरी बन गए हैं. साधु समाज अब सबको जोड़कर चलना चाहता है. अखाड़ा परिषद की बैठक के बाद कन्हैया प्रभु को साल, छड़ी और चवर देकर सम्मानित किया गया. इस प्रक्रिया के बाद अब आने वाले कुम्भ में इस दलित साधु को महामंडलेश्वर या कोई उच्च पद दिया जा सकता है. अब कन्हैया प्रभु सनातन धर्म से बिखरे दलितों और समाज को जोड़ेंगे, ताकि सब एक हो सके और सनातन धर्म का प्रचार करेंगे.
फिलहाल पंजाब में रहते हैं संत कन्हैया प्रभु
जिस तरह से राजनेता देश में दलित कार्ड की राजनीति खेल रहे हैं, मसलन प्रतापगढ़ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दलितों के घर खाना खाना. उसी तरह साधु-संत भी इसमें पीछे नहीं दिख रहे हैं. दलित साधु को महामंडलेश्वर बनाए जाने का फैसला उसी की दिशा में उठाया गया एक कदम है. अखाड़ा परिषद के मुताबिक इतिहास में यह पहली दफा है जब किसी दलित समुदाय के साधु को महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी. हालांकि इससे पहले आदिवासी समुदाय के कुछ साधुओं को महामंडलेश्वर बनाया जा चुका है. संत कन्हैया प्रभु फिलहाल गिरि पंजाब में रहते हैं.