आज दादा साहेब फाल्के के 148वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बना कर उन्हें याद किया. दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा के पिता के रूप में जाना जाता है. वह एक जानमाने प्रोड्यूसर, स्क्रीनराइटर और डायरेक्टर थे. उन्होंने अपने 19 साल के करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाई थी. दादा साहेब की पहली फिल्म ‘राजा हरीशचंद्र’ थी. इसके बाद उन्होंने ‘मोहिनी बहासमसूर’, ‘सत्यवन सावित्रि’ और ‘कलिया मरदान’ जैसी यादगार फिल्में बनाई हैं.
फोटोग्राफी में शुरू किया था करियर
दादासाहेब गोविंद फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र के त्रिम्बकेश्वर में हुआ था. उनके पिता एक सफल विद्वान थे. दादा साहेब फाल्के ने अपनी पढ़ाई जेजे स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई से की. इसके बाद उन्होंने गुजरात के बड़ौदा में महाराजा सयाजीराओ युनिवर्सिटी में कला भवन से स्क्लप्चर, इंजीनियरिंग, ड्रोइंग, पेंटिंग और फोटोग्राफी सीखी और गोधरा में एक फोटोग्राफर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की लेकिन अपनी पहली पत्नी और बेटे को टाउन प्लेग में खोने के बाद उन्होंने इस काम को छोड़ दिया.
शुरू की थी अपनी प्रिंटिंग प्रेस
इसके बाद उन्होंने भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ संक्षेप में काम किया और कुछ वक्त बाद उन्होंने अपनी प्रिटिंग प्रेस का शुरू की. हालांकि, अपनी प्रिंटिंग प्रेस शुरू करने से पहले उन्होंने पेंटर राजा रवि वर्मा के साथ काम किया लेकिन एक साइलेंट फिल्म ‘द लाइफ ऑफ क्रिस्ट’ देखने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. दरअसल, इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने फिल्में बनाना शुरू किया और उन्होंने 1912 में अपनी पहली फिल्म ‘राजा हरीशचंद्र’ बनाई.
प्रतिष्ठित पुरुस्कारों में शामिल है ‘दादासाहेब फाल्के पुरस्कार’ का नाम
1969 में, भारत सरकार ने दादासाहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना करके पौराणिक फिल्म निर्माता को सम्मानित किया, जो भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है और भारत में फिल्म व्यक्तित्वों की सर्वोच्च आधिकारिक मान्यता है. यह अवॉर्ड हर साल राष्ट्रीय अवॉर्ड के साथ दिया जाता है. एक्ट्रेस देविका रानी पहली एक्ट्रेस थीं जिन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. दादासाहेब फाल्के का फिल्मी करियर 19 साल का था और अपने 19 साल के करियर में उन्होंने कई यादगार फिल्में दीं.