Monday, December 16, 2024
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बिहार में मिथिला के ‘कलेक्टर गांव’ के हर घर से है कोई न कोई IAS PCS Scientist

SI News Today
There is no IAS PCS Scientist from every house of 'collectors village' of Mithila in Bihar

बिहार के शिवहर जिले के कमरौली गांव की खास पहचान है। 90 फीसद साक्षरता दर के साथ ही गांव से छह आइएएस अधिकारी निकले हैं। वर्तमान में बिहार सरकार के मुख्य सचिव दीपक कुमार और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार इसी गांव के हैं। इसके अलावा कई लोग वैज्ञानिक, डॉक्टर और बैंक में अधिकारी बन भी नाम रोशन कर रहे हैं। जिसके चलते इसका नाम ही ‘कलेक्टरों का गांव’ पड़ गया है।  जिला मुख्यालय से महज चार किलोमीटर पूरब स्थित कमरौली पर विद्या की देवी सरस्वती की विशेष कृपा है। यहां के सियाराम प्रसाद सिन्हा उर्फ सीताराम प्रसाद को प्रथम आइएएस अधिकारी बनने का सौभाग्य मिला। इसके बाद किसान के पुत्र लक्ष्मेश्वर प्रसाद को सफलता मिली। वे भारत सरकार के मानव संसाधन विभाग में निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। फिर अरुण कुमार वर्मा, दीपक कुमार, चंचल कुमार और अपूर्व वर्मा ने आइएएस बन गांव का गौरव बढ़ाया। सियाराम व लक्ष्मेश्वर की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई।

गांव से है रिश्ता कायम
बुजुर्ग सुरेश प्रसाद कहते हैं कि जब एक के बाद एक यहां के युवा सफल होने लगे तो गांव वालों के अलावा आसपास के ग्रामीण भी इसे कलेक्टरों का गांव कहने लगे। कहते हैं, सियाराम प्रसाद तो स्मृति शेष हो गए हैं, लेकिन अन्य अधिकारी शादी-विवाह, छठ एवं होली सहित विशेष अवसरों पर आते हैं। दीपक कुमार एवं अपूर्व वर्मा का विशेष लगाव अपनी जन्मभूमि से है।

अन्य क्षेत्र में भी छोड़ रहे छाप
आइएएस के अलावा अन्य प्रतिभाएं भी कम नहीं हैं। रंधीर कुमार वर्मा इसरो में वैज्ञानिक हैं। डॉ. रमेश कुमार वर्मा मेडिकल कॉलेज रांची में व्याख्याता होने के साथ प्रसिद्ध चिकित्सक हैं। इनके सरीखे करीब आधा दर्जन डॉक्टर देश के कई कोने में सेवा दे रहे हैं। वहीं अरुण कुमार वर्मा के अलावा दर्जन भर से अधिक लोग बैंक अधिकारी हैं।दीपक ने एनएच 104 किनारे अपनी जमीन वर्ष 2008 में दी, जिस पर विमला वर्मा मेमोरियल अतिरिक्त स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र बना है। ठाकुरबाड़ी परिसर में जिले का इकलौता चित्रगुप्त मंदिर है। मध्य विद्यालय कमरौली के एचएम विनयकृष्ण बताते हैं कि मेरे स्कूल में दो कलेक्टरों ने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी, यह गौरव की बात है। वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

कमरौली गांव एक नजर
आबादी : 3000
स्कूल : एक प्राथमिक एवं एक मध्य विद्यालय
अतिरिक्त स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र : एक
साक्षरता : 90 प्रतिशत

जिलाधिकारी अरशद अजीज कहते हैं
यह खुशी की बात है कि इस छोटे से जिले के एक गांव के आधा दर्जन लोग आइएएस अधिकारी बने हैं। नई पीढ़ी को इससे प्रेरणा लेने की जरूरत है।

 

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