Thursday, September 19, 2024
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कश्मीर की हिंसा में जख्मी लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टर नहीं बचा सके अपने बेटे की जान

SI News Today
Do not save the lives of injured people in Kashmir violence, save his son's life

पुलवामा में हिंसा में जख्मी हुए लोगों को तो डॉ अब्दुल गनी पोसवाल ने बचा लिया, लेकिन वो इसमें जख्मी अपने बेटे को नहीं बचा सके। पत्थरबाजों और सिक्युरिटी फोर्सेज के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान उनके 16 साल के बेटे फैजान अहमद की भी मौत हो गई। फैजान भी उन पत्थरबाजों की भीड़ का हिस्सा था, जो मुठभेड़ के वक्त फोर्सेज पर पत्थरबाजी कर रहे थे और जिस पर सिक्युरिटी फोर्सेज ने गोलियां चलाई थीं। फैजान को पहले निजी अस्पताल राजपुरा में ले जाया गया था, जहां डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए थे। इसके बाद फैजान को जिला अस्पताल में लाया गया। हॉस्पिटल के प्रभारी मेडिकल चीफ डॉ. राशिद पर्रा ने कहा कि हमने फैजान को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हम उसे बचा नहीं सके। हम सभी को फैजान के पिता डॉ. अब्दुल गनी को मौत की खबर देने के लिए अस्पताल बुलाना पड़ा।

पुलवामा के जिला अस्पताल में डॉ. गनी के लिए शुक्रवार का दिन बहुत व्यस्त था। वो अस्पताल में पुलिस फायरिंग में घायल हुए लोगों को इलाज घर लौट ही रहे थे कि तभी उन्हें एक फोन आया। उन्हें फौरन अस्पताल बुलाया गया। जब वो दोबारा अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले तीन घायलों का प्राथमिक इलाज कर उन्हें श्रीनगर के लिए रेफर कर दिया। इसके बाद उनका सामना स्ट्रेचर पर जख्मी हालत में पड़े अपने बेटे फैजान से हुआ। पर वो दुनिया को अलविदा कह चुका था। वो बेटे की लाश देखकर टूट गए, लेकिन फिर खुद को संभाला और बेटे की लाश सफेद चाहर में लपेट घर के लिए निकल दिए। शनिवार को फैजान का शव उसके पूर्वजों के गांव गोसानद में दफनाया गया, जहां हजारों की संख्या में लोग उसे अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद थे।

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