West Bengal will give a shock to the Congress in the Lok Sabha elections …
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लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जल्दी ही पश्चिम बंगाल का दौरा करने वाले हैं. राहुल के दौरे से महज कुछ दिन पहले ही राज्य से पार्टी के एक बुरी खबर आई है. गांधी के दौरे से पहले कांग्रेस नेता दो धड़ों में बंट गए हैं. खास बात यह है कि दोनों में से कोई भी धड़ अब कांग्रेस का साथ नहीं देना चाहता है. पार्टी का एक धड़ा तृणमूल के साथ गठबंधन को इच्छुक है तो दूसरा माकपा का हाथ थामना चाहता है. वर्ष 2019 के होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ उनकी लड़ाई में गठबंधन सहयोगी के चयन को लेकर प्रदेश इकाई में मतभेद जारी है. प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा के लिये आधिकारिक रूप से छह जुलाई को बैठक बुलायी गई है. लेकिन तृणमूल कांग्रेस द्वारा कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में करना और तृणमूल या माकपा के साथ गठबंधन का मुद्दा भी इस दौरान उठने की संभावना है.
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मोइनुल हक ने 2 जुलाई को एक सार्वजनिक रैली में अपने समर्थकों की अनुमति लेने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होने का फैसला किया है. बता दें कि मोइनुल हक झारखंड के लिए पार्टी पर्यवेक्षक हैं. इससे पूर्व वे जम्मू-कश्मीर के भी पर्यवेक्षक रहे चुके हैं. एक के बाद एक पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के लिए बुरी खबर आना पार्टी की स्थिति के लिए नुकसान दायक साबित हो सकता है. पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी (डब्ल्यूबीपीसीसी) की ओर से प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश मिश्रा द्वारा तैयार और केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई रिपोर्ट में संसदीय चुनाव के लिए माकपा से हाथ मिलाने की सिफारिश की गई है. हालांकि पार्टी सांसदों एवं विधायकों के एक धड़े का मानना है कि वर्ष 2019 में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए तृणमूल के साथ हाथ मिलाना बेहतर तरीका होगा.