When the scientists scanned 1000 years old gold statue then found a living person
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चीन में करीब तीन दशक पहले मिले सोने के 1000 साल पुराने एक स्टैचू ने साइंटिस्ट्स को हैरत में डाल दिया था। मरम्मत के लिए लाए गए स्टैचू को साइंटिस्ट्स ने जब स्कैन किया तो उन्हें कई चौंकाने वाली चीजें मिलीं। उन्हें इसके अंदर किसी की ममी नजर आई। ये ममी बिल्कुल स्टैचू के ही आकार की थी। स्टडी में पता चला कि ये एक बौद्ध भिक्षु की थी, जिसने उपवास के दौरान ध्यान की ही अवस्था में खुद को ममीफाइड करा दिया था। 1990 में ये स्टैचू मरम्मत के लिए निकाला गया था, लेकिन इस ममी को स्टैचू के अंदर से निकाला नहीं गया, क्योंकि इसके टूटने का खतरा था। इटली, जर्मनी और नीदरलैंड के साइंटिस्ट्स ने मिलकर इस स्टैचू की रिसर्च शुरू की तब सिटी स्कैन में पता चला कि बौद्ध भिक्षु की स्किन, मसल्स और हड्डियां तो सुरक्षित थीं। पर एंडोस्कोपी के जरिए जब शरीर के अंदर के सैंपल लिए गए तो पता चला कि उसके सारे अंग निकाल दिए गए थे। वहीं उसके शरीर के अंदर कागज भरा हुआ था।
क्या कह रहे हिस्टोरियंस?
हिस्टोरियंस का मानना है कि बौद्ध भिक्षु के शरीर त्यागने के बाद चीन में उन्हें पूजा जाने लगा और उनके प्रिजर्व कर रखे गए शरीर को मॉनेस्ट्री में रखा गया। करीब 200 साल बाद जब उनकी ममीफाइड किए गए अवशेष बिगड़ने लगे, तो उसे सोने का स्टैचू बनवाकर उसके अंदर डाल दिया गया। मौजूदा दौर में अब उनका स्टैचू बुडापेस्ट के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में रखा गया है।
समाधि का दौरान खुद को कराया ममीफाइड
ये ममी बौद्ध भिक्षु लिकुआन की थी, जो चाइनीज मेडिटेशन स्कूल के मेंबर थे। बौद्ध भिक्षुओं के कुछ पुराने रिकॉर्ड्स से पता चला था कि बौद्ध भिक्षु मौत तक भूखे रहने का उपवास करते थे और खुद को स्वेच्छा से ममी में तब्दील कराते थे। लिकुआन बौद्ध भिक्षुओं में इस तरह का उपवास शुरू करने वाले पहले शख्स थे। उन्होंने उपवास के लिए करीब 1200 साल पहले खुद को गुफा में कैद कर लिया था और प्राणायाम की अवस्था में ध्यान में लीन हो गए थे। बौद्ध भिक्षु को इसी समाधि की स्थिति में ममीफाइड किया गया होगा।