Thursday, November 21, 2024
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सोमनाथ चटर्जी के सिद्धांत को याद करेगा भारतीय राजनीतिक परिदृश्य

SI News Today

Somnath Chatterjee’s principle would miss Indian political landscape.

     

सोमनाथ चटर्जी का जन्म असम के तेजपुर में 25 जुलाई 1929 को हुआ था. इन्होने अधिवक्ता के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी. 1968 में वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बनने के बाद क्रियात्मक रूप से राजनीति में शामिल हुए. राष्ट्रीय राजनीति में उनकी वृद्धि पहली बार 1971 में लोकसभा चुनाव जीतने के साथ शुरू हुई . सोमनाथ चटर्जी एक ऐसे सख्शियत थे जिन्होंने कभी भी कामगार वर्ग और वंचित लोगों के हितों के लिए आवाज बुलंद करने का कोई भी अवसर नहीं गंवाया. उन्होंने सभा की कार्यवाही के संचालन को भी सुधारने के संबंध में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए.

1996 में भारत की संसदीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए उनके योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से नवाजा गया. वे 1989 से 2004 तक लोक सभा में सीपीआईएम के नेता रहे. वही 4 जून, 2004 को 14वीं लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में उनका सर्वसम्मति से निर्वाचन की वजह से सदन में इतिहास रच गया. दरअसल , लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ दा का निर्वाचन प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रखा जिसे रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अनुमोदित किया. लोकसभा के 17 अन्य दलों ने भी सोमनाथ दा का नाम प्रस्तावित किया जिसका समर्थन अन्य दलों के नेताओं द्वारा किया गया.

वही जब विचार और मतदान के लिए इस प्रस्ताव को सदन के सामने रखा गया तब सभा ने सर्वसम्मति से इसे स्वीकार किया और श्री सोमनाथ चटर्जी निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किए गए. लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को नादी (फिजी) में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का उपाध्यक्ष चुना गया. वही उनके अध्यक्ष के रूप में किए गए प्रयासों के कारण पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष हाशिम अब्दुल हलीम को 2 सितम्बर, 2005 को सीपीए सम्मेलन, नादी में 3 वर्ष के कार्यकाल के लिए राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की कार्यकारी समिति का अध्यक्ष भारी बहुमत से चुना गया. किसी भारतीय प्रतिनिधि को यह सम्मान 20 वर्षों के बाद प्राप्त हुआ.

लोकसभा अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटर्जी की पहल पर ही शून्यकाल का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया जाने लगा.उनके प्रयासों से ही 24 जुलाई 2006 से 24 घंटे का लोकसभा टेलीविजन शुरू किया गया. 14 अगस्त 2006 में उनकी पहल पर ही भारत की लोकतांत्रिक विरासत पर अत्याधुनिक संसदीय संग्रहालय की स्थापना की गई. इस संग्रहालय का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति के कर कमलों ने किया था. सोमनाथ के नेतृत्व में भारत ने सितम्बर, 2007 के दौरान नई दिल्ली में 53वें सीपीए सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की जिसमें 52 देशों के विविध क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों से अवगत कराया गया. बता दें कि सोमनाथ चटर्जी ने लगभग 35 सालों तक एक सांसद के रूप में देश की सेवा की. वे 1971 से प्रभावशाली संसद सदस्य के रूप में संसद सदस्यों के लिए आदर्श रहे हैं.

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