Bake banana is being slaughtered in the mouth of death, the district administration silent.
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शहर सुल्तानपुर में केला खरीदने वाले ग्राहकों को किस तरह गुमराह कर कें केले को बेचा जा रहा हैं शायद जनपद कें जिलाधिकारी व नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष बबिता जयसवाल को भी इस बात को पता हैं कि हमारे जनपद कें कुछ व्यापारियों नें अपने ही ग्राहकों को A.C. व कैमिकल मिला करके केले को भरपूर तरीक़े से पकाया जा रहा हैं। लेकिन सुल्तानपुर भारतीय जनता पार्टी की नगर पालिका की अध्यक्ष बबिता जयसवाल वा उनके पति अजय जयसवाल महोदय अपने ही सत्ता कें आड़ में खुलेआम सब्जी मंडी में केला पकाने कें लिए एक स्टोर मार्केट बना रखा हैं। जिसमें आठ वा नौ A.C. लगाए गये हैं उसी A.C. कें अंदर बाहर सें मगाये हुए कच्चे केले को भरपूर तरीके सें भर दिया जाता हैं। 24 घंटे बाद जब केला A.C. सें बाहर निकाला जाता हैं, तो भरपूर तरिके से केला पका रहता हैं। तब उसे खुलेआम केले को मार्केट में बेच दिया जाता हैं। पक रहे सारे मौसमी फल समय में ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ में फल मंडियों में प्रतिबंधित कैमिकल से फल पकाने का खेल जोरों सें चल रहा हैं।
सुल्तानपुर कें अमहट सब्जी मंडी में जिस समय ट्रक द्रारा केले को मगाया जाता हैं उस समय तक केला गोदाम में कच्चे रहते हैं। फिर केलो को कैमिकल व एसी सें पका देते हैं। केला पक जाने कें बाद उसको ग्राहकों को बेच देते है। यहाँ तक की जनपद कें अन्य मार्केट जैसे लम्भुआ, दोमुंहा, हनुमानगंज, कादीपुर, बरौसा, जैसिंहपुर, कुडवार, धम्मौर, कुडेभार इस सभी मार्केट में भी केला पहुचाया जाता हैं। जब ग्राहक केला खरीद कर घर जाता हैं तो घर पहुंचने पर पके हुए केले को घर लाते ही काले पडऩे लगते हैं। यह सच्चाई सब जानते हैं लेकिन फलों के बदलते रूप और बेस्वादी की वजह जानने की कोशिश कोई नहीं करता। कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ में फल मंडियों में प्रतिबंधित कैमिकल से फल पकाने का खेल खूब चल रहा है।
राज्य सरकार वा जिला प्रशासन को घातक कैमिकल्स के इस्तेमाल पर रोक लगाया जाता हैं। इससे पके हुए फल न केवल बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं और जनपद कें जिला चिकित्सालय केंद्र में भर्ती करवा रहें हैं। इसके लगातार सेवन से लोग बिमार पढ़ रहे हैं। गले में खराश, आंतों में जलन और पेट की बीमारियो की सिकायत भी काफी जोरों सें फैल रहा है। राज्य सरकार नें ये भी हाथ पे हाथ धरे बैठा हैं कैमिकल कच्चे फलों को घातक कैमिकल्स का इस्तेमाल करके पकाए जाने की प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखें। उस पर रोक लगाए, लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं। विभाग ने दखल देना उचित ही नहीं समझा खाद्य विभाग भी आंख मूंद कर बैठा है। विभाग ने ऐसे मामलों में अब तक अपना दखल देना उचित ही नहीं समझा।
उत्तर प्रदेश सहित सभी जिलो में कुछ हिस्सों में फल व्यापारियों ने इस खतरे को समझा और अब कैमिकल से फलों को पका रहे हैं। हमारे यहां के न तो व्यापारी इसका उपयोग कर रहे हैं और न ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग इस मामले में कोई पहल भी नही कर रहा है।कार्बाइड से पके फल हानिकारक व्यापारी भी जानते हैं कि कार्बाइड से पके फल सेहत के लिए हानिकारक है। फिर भी कम खर्च में अधिक मुनाफे के लालच में वे लोगों की सेहत की चिंता नहीं करते। उन्हे सिर्फ अधिक मुनाफे से मतलब है। व्यापारियों का कहना है कि एथिलिन गैस से फलों को पकाने में उन्हें खर्च ज्यादा आएगा। इसलिए लोगों की सेहत की परवाह ना करते हुएँ अपनी जेब में रकम भरने के काम ही मुनासिब समझ रहें हैं।
मीडिया नें जब इसका खुलासा किया तो वहां पर मौजूद महिलाओं नें नगर पालिका परिषद के उपर आरोप लगाते हुए कही की जिस तरीका सें यहां अवैध केले कें गोदाम चला रहे हैं। उसको यहां सें हटना चाहिए क्योंकि यहाँ इतनी गंदगी फैलती हैं कि जीना मुश्किल हो गया हैं। वही पर दुसरी महिला ने कहा यहां पर केले का गोदाम चलता हैं, जिससे मेरी गाय भी मर गयी हैं। छोटे छोटे बच्चे खेलते रहते हैं ये सब भी बिमारियां फैलती हैं और इसको कोई सुनने वाला नही हैं।
Reported By- शिव कुमार दूबें (पत्रकार)