The fault is not because i am a girl, but because of societies thought
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हमारे देश में सबसे ऊंचा दर्जा नारियों को मिला है। और इस देश की सबसे खास बात ये है कि लोग इसे इसकी संस्कृति व परंपरा से जानते हैं। यहां पर हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई सभी धर्मों को एक माना जाता है। और शायद यही वो कारण है जिसकी वजह से भारत को हिंदुस्तान और हमारे भारत देश को सोने की चिड़िया कहा जाता है। यहां कि हरियाली आपस के लोगों से जुड़ाव महसूस कराती है। एक-दूजे के प्रति प्रेम, वासना व अपनत्व का भाव और एकता देखकर कहीं न कहीं हम अंदर से खुश जरूर हो जाते हैं। पर आज वो एकता, प्यार, लगाव और लोगों के अंदर की संवेदनाएं मरती हुई नजर आ रहीं हैं।
बताते चलें कि औरतों को लक्ष्मी और बेटियों को देवी माना जाता है। इतना ही नही नवरात्री में उन्हें कन्या मानकर उनकी पूजा अर्चना भी की जाती है। पर क्या आज वो बेटियां खुुश हैं अपनी जिंदगी से? बात ये है कि न जाने कौन सा ये जमाना आ गया है कि लोग हवश के शिकार, इंसान के रूप में जानवर बनकर हैवानियत की सारी हदों को पार करते चले जारहें हैं। एक ओर बेटियों को इतना प्यार और सम्मान दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर उनकी जिंदगी को नर्क भी बनाया जा रहा है। अब जब वो अपने घर के अंदर भी खुद को सुरक्षित महसूस नही करेंगी, उन्हें हर वक्त ये डर सताता रहेगा कि कहीं मेरे साथ कुछ हो न जाए जैसे बाकियों के साथ हुआ था। कहीं उनकी तरह मेरी भी जिंदगी बर्बाद न हो जाए। और इन्हीं सब कारणों के चलते वो स्थिर हो जाती हैं, उनकी जिंदगी एक जगह रुक जाती है। वो न पढ़ पाती हैं, न लिख पाती हैं और न ही अपना सपना पूरा करने के लिए आगे बढ़ पाती हैं।
लड़किया कमजोर नही होती हैं, इसका सबसे उदाहरण रानी लक्ष्मीबाई जैसी महान वीर योद्धा को देखने के बाद पता चलता है। पर आज हमारा समाज जिस तरीके से इन गंदे लोगों की वजह से बदल रहा है उसका भुगतान सिर्फ लड़कियों को ही करना पड़ता है। ये तो वही बात हो गई कि करे कोई और, भरे कोई और। खैर इसके भी छोड़िये हमारे इस देश में, हमारे समाज में जो लड़किया आगे बढ़कर कुछ करना चाहती हैं तो उनके साथ ज्यादातर यही होता है कि उनके मां-बाप समाज के खूंखारों के डर से उन्हें अकेले निकलने नही देते और अगर जिन्हें निकलने का मौका मिल गया तो उन्हें ये जानवर जीने नही देते। अक्सर हमने देखा है कि अगर लड़की को किसी ने छेड़ा, उसके साथ बद्तमीजी की और फिर उसका रेप किया तो लोग दोषी पर सवाल न उठा करके सबसे पहले लड़की पर उठाते हैं। उसके कैरेक्टर को लेकर बिना कुछ समझे बोल देते हैं, और गलती तो सारी लड़की की है उसने ही किया होगा कुछ तभी तो लड़के ने ये जुर्रत की वरना और भी लड़कियां हैं उनके साथ तो ऐस नही हुआ। अब भला उनको कैसे समझाएं कि इस परिस्थिति से हर लड़़की गुजरती है। किसी के साथ जायादा ज्यादतीय तो किसी के साथ कम होती है। तोई सड़क पे छेड़ी जाती है तो कोई अपने घर में ही किसी के हवश का शिकार होती है। और न जाने कितने ऐसे मामले हैं जो समाज में इज्जत खराब होने के डर से खुलकर बाहर आते ही नही है। सब अंदर ही अंदर दब जाते हैं।
अब सवाल ये उठता है कि अगर ऐसे ही चलता रहा, लड़कियां घुटन में डर के साथ जीती रही तो आने वाले भविष्य का क्या हस्र होगा? इसकी तो आप कल्पना भी नही कर सकते हैं। क्योंकि उनसे ही तो ये संसार है, उनके दम पर ही इस श्रृष्टि का निर्माण है। और अगर ऐसे ही उन्हें जीने नही दिया जाएगा तो वो दिन दूर नही जब इस संसार में सिर्फ और सिर्फ बंजर दिखाई देगा।
By- Shambhavi Ojha