Friday, November 22, 2024
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पहचानिये क्या होता है यौन संबंध (orgasm) के चरम पर महिलाओं के शरीर में बदलाव

SI News Today

Identify what happens at the peak of sexual intercourse (orgasm) changes in women’s body.

 

ऑर्गैज़म का मतलब होता है जब यौन क्रिया के चरम बिंदु पर हों. यौन संबंधों में इस खास शब्द का नाम तो बहुत सुनाई देता देता है मगर इस बहुत ही खास शब्द के बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे. सेक्स से जुड़ी जिज्ञासा सबके अंदर होती है. पर सेक्स की इस प्रकार की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए हम कभी कभी दिशाहीन होकर गलत जानकारियां जुटा लेते हैं और फिर परिणाम भयंकर होता है.

हम सेक्स के बारे में जानना तो चाहते हैं मगर उसे शरीर के बायोलॉजी की तरह नहीं, बल्कि अन्य अल्पज्ञ जानकारियों के साथ. ऐसे ही महिलाओं के शरीर में कुछ सेक्स से कुछ प्राकृतिक बदलाव भी आते हैं उन्हें भी जानना जरूरी है. सेक्स के दौरान पुरुषों की भाँती चरमोत्कर्ष का अनुभव होता है जिसे महिलाओं का ऑर्गैज़म कहते हैं, आइये जानते हैं क्या और कुछ बदलाव आते हैं महिलाओं में सेक्स के दौरान.

जब भी महिलाएं अपने चरमोत्कर्ष पर होती हैं, यानी ऑर्गैज़म होता है, तो उनके शरीर में ये सभी बदलाव आते हैं:

1. सेक्सुअल उतेजना के दौरान औरतों की धड़कन बढ़ जाती है. सांसें तेज़ हो जाती हैं. भई ये आपने टिप-टिप बरसा पानी में भी देखा है. जो नहीं देखा वो ये कि औरत के शरीर की कई मांसपेशियां कस जाती हैं. स्तनों का साइज़ कुछ देर के लिए बढ़ भी जाता है. कुछ औरतों का चेहरा, गला, और सीना लाल हो जाता है. इसे ‘सेक्स फ्लश’ कहते हैं. यानी उत्तेजना से लाल होना. साथ ही क्लिटोरिस भी आकार में थोड़ा बढ़ जाती है.

2. ऑर्गैज़म के दौरान वजाइना से नेचुरल लुब्रिकेंट भी निकलता है. यानी प्राकृतिक चिकनाहट. इससे सेक्स करने में आसानी होती है.

3. वजाइना के अंदर की परत अपने आप लंबाई और चौड़ाई में बढ़ जाती है. और बाहरी हिस्सा अधिक खुलने लगता है. ये इसलिए होता है क्योंकि हमारा दिमाग खून का सारा बहाव हमारे प्राइवेट पार्ट्स की तरफ कर रहा होता है. खून का यही बहाव सेक्स के दौरान सेंसेशन महसूस करने में मदद करता है.

4. उत्तेजना से जो क्लिटरिस बड़ी होती है, ऑर्गैज़म से ठीक पहले सिकुड़ने लगती है. और उसके आस-पास की मांसपेशियां फूल उठती हैं.

5. ऑर्गैज़म के समय ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कनें और सांस लेने की गति भी बढ़ती रहती है.

6. ऑर्गैज़म केवल प्राइवेट पार्ट के बाहरी हिस्सों तक ही सीमित नहीं रहता. वजाइना की अंदरूनी और गर्भाशय की मांसपेशियों में हर कुछ सेकंड पर सरसाराहट होती है. एक धुकधुकी जैसा. इसका एक ख़ास मकसद है. ये इसलिए होता है ताकि पुरुष का सीमेन शरीर में और अंदर खिंच सके. इन शॉर्ट, ऑर्गैज़म आपकी प्रेग्नेंसी के चांसेज बढ़ाता है.

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7. ऑर्गैज़म को एक ग्राफ की तरह समझिए. इसमें हाई और लो होते हैं. ये छोटे ब्रेक लेकर में होता है. अगर ऑर्गैज़म हल्का है तो ये हलके झटके से महसूस होने वाले सेंसेशन तीन से पांच बार होंगे. और अगर ऑर्गैज़म तेज़ है तो 10 से 15 बार भी हो सकते हैं.’

8. एक बार ऑर्गैज़म हो जाए तो गर्भाशय, क्लिटरिस और उसके आसपास का हिस्सा वापस अपने साइज़ पर लौट जाते हैं. कसी हुई मांसपेशियां रिलैक्स महसूस करती हैं.

9. ये तो रही शरीर की बात. ऑर्गैज़म का असर दिमाग पर भी पड़ता है. ऑर्गैज़म के दौरान ब्रेन ऑक्सीटोसिन नाम का हॉर्मोन भी बनाता है. जिसकी वजह से आप अपने पार्टनर के और क़रीब महसूस करती हैं. और शारीरिक के अलावा मानसिक रूप से भी पूरा होने की फीलिंग आती है.

10. ऑर्गैज़म के साथ ही डोपामाइन नाम का हॉर्मोन भी बनता है. ये पेनकिलर का काम करता है. और शरीर में यहां-वहां हो रहे हलके दर्द को कम करता है.

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