Thursday, November 21, 2024
featuredउत्तर प्रदेशलखनऊस्पेशल स्टोरी

बुलंदियों की नई परिभाषा डॉक्टर भास्कर शर्मा

SI News Today

लगन पूर्ण मनोयोग से किया गया परिश्रम तथा विषम परिस्थितियों में कायम संयम निश्चय ही भीड़ से अलग पहचान दिलाता है। अपने कर्तव्यों के प्रति निरंतर मनन, मंथन तथा चिंतन बुलंदियों की नई परिभाषा गढ़ने का मूल मंत्र है। कहा जाता है कि व्यक्ति के व्यक्तित्व और कृतित्व की व्याख्या उसके सामाजिक सहभागिता और किए गए योगदान से तय होती है।

डॉक्टर भास्कर शर्मा ऐसे ही किरदार का नाम है जिसने कड़ी मशक्कत निष्ठा और त्याग के जरिए खुद को अध्ययन योग्य बनाया है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी डॉ भास्कर शर्मा का जन्म गौतम बुद्ध की पावन नगरी सिद्धार्थनगर के इटवा तहसील के गांव बभनी माफी शिक्षक पिता व ग्रहणी माता पिता के पुत्र का लालन-पालन तथा शिक्षा गांव में हुई। प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करते हुए डॉ शर्मा विभाग द्वारा आयोजित बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे। कई प्रतियोगिताओं में इन्होंने मंडल स्तर तक अपना झंडा गाड़ा।

निबंध प्रतियोगिता में इनकी प्रतिभागिता को ही अध्यापक जीत समझते थे क्योंकि इनके गुरुओ को इनकी अंतर्निहित प्रतिभा पर विश्वास हो चुका था। कहावत “पूत के पांव पालने में” चरितार्थ होने लगा था। इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद तराई के ऑक्सफोर्ड के रूप में विख्यात महारानी लाल कुंवर स्नाकोत्तर महाविद्यालय बलरामपुर से विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की उच्च शिक्षा ग्रहण करते हुए डॉ भास्कर शर्मा खुद को भीड़ से दो कदम आगे रखने में सफल होते थे।

स्नातक पूर्ण करके भास्कर शर्मा ने अपनी मेहनत का लोहा मनवाते हुए बीएचएमएस में प्रवेश लिया। बीएचएमएस के बाद डॉ भास्कर शर्मा ने एमडी होम्योपैथी की डिग्री ग्रहण की। एमडी होम्योपैथी की डिग्री हासिल करने के बाद भी होम्योपैथी के गहन अध्ययन की इनकी ललक पूर्ण नहीं हुई और इन्होंने पीएचडी होम्योपैथी में भी प्रवेश लिया जो इनके वैश्विक पहचान का आधार बना। डॉक्टर भास्कर शर्मा विश्व के चुनिंदे होम्योपैथिक चिकित्सकों में शुमार है जिनके पास पीएचडी होम्योपैथी की डिग्री है।

अध्ययन पूर्ण करने के बाद डॉ भास्कर शर्मा ने अपनी चिकित्सा सेवा से निरोगी समाज के निर्माण की संकल्पना को साकार करना शुरू किया। होम्योपैथी के प्रचार-प्रसार व विकास में महती योगदान का प्रतिफल है कि आज डॉ भास्कर शर्मा के नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के 4 प्रमाण पत्र के साथ ही 400 से अधिक अन्य विश्व रिकार्ड दर्ज है और 400 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड प्राप्त कर चुके हैं यही नहीं डॉ भास्कर शर्मा ने अपनी काबिलियत से कामयाबी की जिस बुलंदी को तय किया है वह निश्चित ही युवाओं के लिए उदाहरणीय है। वर्तमान में होम्योपैथी की वैश्विक स्तर पर शायद ही कोई ऐसी संस्था है जो डॉ भास्कर शर्मा को अपनी समिति में शामिल करने के लिए ना प्रयासरत हो।

चिकित्सा ही नहीं अपितु साहित्य भी डॉ भास्कर शर्मा के कार्यों से उपकृत हो रहा है। साहित्य के क्षेत्र में भी डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में भी इनका अतुलनीय योगदान है। इनके प्रयासों से नेपाल बांग्लादेश सहित कुछ अन्य देशों के साहित्यकार हिंदी में लेखन करने लगे हैं। डॉ भास्कर शर्मा ने अपनी साहित्यिक यात्रा में डेढ़ सौ से अधिक पुस्तकों की सृजना की है जिसमें सैकड़ों पुस्तकें होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की हैं जिनका लेखन हिंदी में किया गया है। होम्योपैथी चिकित्सा की पुस्तकों का हिंदी में लेखन इसकी सर्व सुलभता में अहम भूमिका निभा रहा है। डॉक्टर भास्कर शर्मा होम्योपैथी ही नहीं अपितु साहित्य के लिए भी सांझ के मिहिर है।

टांटिया विश्वविद्यालय, राजस्थान के निदेशक डॉ प्रवीण शर्मा की माने तो चिकित्सक स्वस्थ समाज की संकल्पना का आधार स्तंभ है। समाज को निरोगी बनाए रखने में चिकित्सक की भूमिका सबसे अहम होती है। मानसिक रूप से सुदृढ़ व समस्या की बेहतर पर रखने वाला चिकित्सक रोग निदान करने में अधिक सफल होता है। रोगी में यदि सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास हो जाए तो रोग रहित होते समय नहीं लगता व्यवसायिकता के इस युग में भी डॉ भास्कर शर्मा खुद को व्यवसायिकता परिधि से पूर्णतया अलग रखते हुए चिकित्सीय कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण मनोयोग से कर रहे हैं। चिकित्सक के रूप में विगत 12 वर्षों से कार्य करते हुए डॉ भास्कर शर्मा ने बतौर पारिश्रमिक किसी भी मरीज से एक पैसा नहीं लिया जो इनके मान्यता की गवाही है।

राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक श्री अष्टभुजा प्रसाद पांडे के अनुसार किसी भी इंसान के आंतरिक एवं बाह्रय गुणों से उसके व्यक्तित्व की अनुभूति होती है। व्यक्ति के आचार, विचार,संस्कृति, संस्कार, प्रवृत्ति, रहन-सहन एवं शारीरिक संरचना अलग होने की वजह से व्यक्तित्व भी सर्वथा भिंड पाया जाता है। डॉक्टर भास्कर शर्मा इस नजरिए से बहुत सौम्य, सृजनशील एवं सद्भावनापूर्ण व्यक्तित्व के धनी हैं। अपनी सहजता, सौम्यता और आत्मीयता की वजह से डॉक्टर भास्कर शर्मा देश दुनिया में अपनी लोकप्रियता का डंका बाजार हैं। वे चिकित्सा,साहित्य व सामाजिक कार्यों में साम्यता बनाकर बुलंदी का नया आयाम तय कर रहे हैं।

सारांश: डॉक्टर भास्कर शर्मा व्यक्ति नहीं संस्था है।


डॉ सुरेश उजाला पूर्व उप सूचना निदेशक फैजाबाद का कहना है कि डॉ भास्कर शर्मा औरों से अलग सोचने वा करने का दूसरा नाम है। इनका सदा ही प्रयास रहता है कि ऐसे मुकाम तय किए जाएं जो औरों के लिए नजीर बने और यही कारण है कि डॉक्टर शर्मा अपने जीवन कर्तव्यों के प्रति प्रतिफल पूर्ण समर्पित रहते हैं। ऐसा नहीं है कि होम्योपैथी में अन्य चिकित्सक नहीं है लेकिन अपनी लगन और समर्पण से इन्होंने खुद को होम्योपैथी जगत में सबसे अलग साबित करते हुए इसके प्रति विश्वास की नई इबारत रची है।

Related Link- डॉक्टर भास्कर शर्मा बने विश्वविद्यालय में सलाहकार

Reported By- Khursid Alam

SI News Today

Leave a Reply