Friday, December 27, 2024
featuredदेश

एसएसबी को मिलीं वर्ल्‍ड क्‍लास दूरबीनें,अब रातो-दिन रहेगी दुश्‍मन की हर हरकत पर नजर

SI News Today

भारतीय सेना के हाथ अब एक ऐसी आधुनिक दूरबीन लगी है जिससे वो रात के अंधेरे में भी कई सौ मीटर दूर खड़े व्यक्ति की पहचान कर लेगी कि वो कोई दूश्मन है या फिर आम आदमी। देहरादून की आर्डनेंस फैक्ट्री ने इस नई नाइट विजन को विश्व स्तरीय मानकों के अनुरूप तैयार किया है। पहली खेप के रूप में 80 बायनॉकुलर डिवाइस सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को मुहैया कराई गई हैं। इसके अलावा फैक्ट्री ने रॉकेट लांचर व इंसास राइफल के लिए भी इसी क्षमता की नाइट विजन साइट विकसित की है। जागरण की खबर के मुताबिक, आर्डनेंस फैक्ट्री के महाप्रबंधक डीएम पुरी ने बताया कि अब तक नाइट विजन बायनॉकुलर में रात के वक्त आकृति की पहचान उतनी स्पष्ट नहीं हो पाती थी। ऐसे में सामने दुश्मन है या कोई आम आदमी, इसे लेकर जवानों में संशय रहता था।

हालांकि, नए बायनॉकुलर से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसमें संशय की कोई संभावना नहीं है। इसमें आकृति अधिक स्पष्ट नजर आती है और दुश्मन की पहचान करने में असमंजस नहीं रहता। सेना के समक्ष इसका ट्रायल भी किया जा चुका है और अगले वित्तीय वर्ष में सेना के लिए उत्पादन भी शुरू कर दिया जाएगा।

इसी नई तकनीक पर आधारित रॉकेट लांचर व इंसास राइफल की नाइट विजन डिवाइस को भी सेना में शामिल किया जाना है। फिलहाल, नाइट विजन बायनॉकुलर की तरह रॉकेट लांचर और इंसास की नाइट विजन साइट भी पैरा मिलिट्री फोर्स को मुहैया कराई गई है। इस वर्ष 200 नाइट विजन साइट तैयार की गई हैं। मांग के अनुरूप इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

नए नाइट विजन की खासियत
-रात के घने अंधकार में और अधिक स्पष्ट आकृति।
-वजन में पहले के मुकाबले करीब 300 ग्राम की कमी।
-नाइट विजन बायनॉकुलर रात्रि में 500 मीटर दूरी तक देखने में सक्षम।
-रॉकेट लांचर की नाइट विजन साइट की रेंज 500 मीटर।
-इंसास राइफल की साइट की रेंज है 400 मीटर।
-घने कोहरे में दृश्य क्षमता में महज 20 फीसद तक की कमी।
-माइनस 30 डिग्री तापमान में भी कार्य करने में सक्षम।

SI News Today

Leave a Reply