भाजपा के शीर्ष पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के कार्यक्रमों के मंचों से तो पहले ही गायब हो चुके अब उनकी मासिक पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’ पर भी संकट मंडराने लगा है। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने पत्रिका की डायरेक्टरेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी (डीएवीपी) की मान्यता रद्द कर दी है। यानी केंद्र सरकार ने पत्रिका को अब अपने विज्ञापनों की पात्रता सूची से बाहर कर दिया है।
पत्रिका को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्र के प्रति लोगों को धर्म के बारे में जागरूक करने के मकसद से अगस्त 1947 में शुरू किया था। अटल बिहारी वाजपेयी संस्थापक संपादक रहे तो जनसंघ के संस्थापकों में शामिल पं. दीनदयाल उपाध्याय संस्थापक प्रबंधक थे।
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त महानिदेशक सत्येंद्र प्रकाश की ओर से 6 अप्रैल को जारी पत्र के मुताबिक देश के कुल 804 पत्र-पत्रिकाओं की डीएवीपी मान्यता रद्द की गई है। इसमें उत्तर प्रदेश के 165 पत्र व पत्रिका शामिल हैं। पत्र में अक्टूबर 2016 से पत्र व पत्रिकाओं की कॉपी पीआईबी व डीएवीपी के कार्यालय में जमा न कराने का तर्क दिया गया है। राष्ट्रधर्म पत्रिका पर प्रकाशित होने के बाद से अब तक गुजरे 70 सालों में पहली बार इस तरह का संकट आया है।