केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध स्कूलों और केन्द्रीय विद्यालयों के छात्रों के लिए दसवीं कक्षा तक हिन्दी पढ़ना अनिवार्य हो सकता है क्योंकि इस संबंध में एक संसदीय समिति की सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को हिन्दी भाषा अनिवार्य बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ सलाह मशविरा करके एक नीति बनाने का भी निर्देश दिया गया है।
राष्ट्रपति के हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पाठ्यक्रम में हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए। पहले कदम के रूप में, हिन्दी को सीबीएसई और केन्द्रीय विद्यालय संगठन के सभी स्कूलों में दसवीं कक्षा तक एक अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि केन्द्र को राज्य सरकारों के साथ सलाह मशविरा करके एक नीति बनानी चाहिए।
ये सिफारिशें राजभाषा पर संसद की समिति की नौवीं रिपोर्ट में की गईं। सीबीएसई ने पिछले साल तीन भाषा का फार्मूला (अंग्रेजी और दो अन्य भारतीय भाषाएं) नौवीं और दसवीं कक्षा में भी लागू करने की सिफारिश की थी। हालांकि मंत्रालय ने अब तक इस सुझाव पर कोई फैसला नहीं किया है। गौरतलब है कि हाल ही में संसदीय समिति ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हिन्दी में भाषण देने को भी अनिवार्य करने की सिफारिश की थी।