सिविल सर्विस डे के मौके पर आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शीर्ष नौकरशाहों को संबोधित करते हुए बताया कि उन्होंने बैठकों में मोबाइल फोन को बैन क्यों किया। पीएम ने कहा, इन दिनों जिलाधिकारी मोबाइल फोन पर बहुत ज्यादा व्यस्त रहते हैं, इसलिए मैंने बैठकों में मोबाइल लाने पर ही रोक लगा दी। पीएम ने कहा, लोग अब ई-गवर्नेंस से मोबाइल गवर्नेंस की तरफ मुड़ गए हैं, यही सचाई है। काम करने के लिए वर्किंग स्टाइल और माइंडसेट बदलने की जरूरत पर जोर देते हुए पीएम ने कहा कि हाइरार्की कल्चर संस्कृति पर बोझ है और यह ब्रिटिश शासन के समय से चला आ रहा है।
उन्होंने कहा, अगर बड़े अफसरो को लगता है कि कोई नया अफसर अच्छा काम कर रहा है और यह उन्हें डरा रहा है तो यह हाइरार्की कल्चर के कारण है। अधिकारियों से अपने अनुभव का बेहतर इस्तेमाल करने का अनुरोध करते हुए पीएम ने कहा कि वह हटके सोचें, ताकि बदलाव लाया जा सके। उन्होंने कहा कि मेरी राजनीतिक इच्छाशक्ति है बदलाव लाने की। लेकिन लेकिन आप लोग हैं जो योजनाओं और नीतियों को तैयार करते हैं।
पीएम ने कहा, दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति सुधार कर सकती है लेकिन अफसरशाही और जन भागीदारी उसे नए आयाम तक पहुंचा सकती है। हमें इन दोनों शक्तियों का समावेश कर विकास की दिशा में आगे बढ़ना होगा।” पीएम मोदी ने कहा कि सुधारवादी कदम उठाने में हमारी राजनैतिक इच्छाशक्ति न कम पड़ी है और ना आगे कम पड़ेगी। पीएम ने कहा कि वो चाहते हैं कि आने वाले एक साल में वर्क क्वॉलिटी में बदलाव हो। उन्होंने कहा कि सिर्फ सर्वश्रेष्ठ होने से काम नहीं चलेगा। आपको सर्वश्रेष्ठ होने को अपनी आदत बनाना होगा।
पीएम ने अफसरों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने को कहा। उन्होंने कहा कि आम जनमानस तक पहुंच बनाने के लिए सोशल मीडिया से बेहतर विकल्प उपलब्ध नहीं है। मोदी ने कहा, “ई-गवर्नेंस, एम-गवर्नेंस, और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों तक पहुंच बनाएं।” पीएम ने अपने भाषण में कश्मीर में चल रही गतिविधियों पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमारे जवान कश्मीर में बाढ़ आने पर लोगों की जान बचाते हैं, लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं लेकिन बाद में हमारे फौजी पत्थर भी खाते हैं। पीएम ने कहा कि सभी को इस पर चिंतन-मनन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले और आज की परिस्थितियों में काफी अंतर है।