उच्चतम न्यायालय ने 2008 की मालेगांव बम विस्फोट घटना से संबंधित मामले में आरोपी श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका पर आज राष्ट्रीय जांच एजेन्सी और महाराष्ट्र
सरकार से जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ ने बम्बई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेन्सी और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किये। उच्च न्यायालय ने इस मामले में पुरोहित की जमानत याचिका रद्द कर दी थी। शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने का पुरोहित का अनुरोध 28 अप्रैल को ठुकराते हुये कहा था कि इस पर सामान्य प्रक्रिया में ही सुनवाई की जायेगी।
बंबई उच्च न्यायालय ने 25 अप्रैल को मालेगांव प्रकरण में एक अन्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी थी परतु सहआरोपी पुरोहित की जमानत याचिका यह कहते हुये खारिज कर दी थी कि उसके खिलाफ गंभीर किस्म के आरोप हैं। मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मोटरसाइकिल में बंधे बम में हुये विस्फोट में छह व्यक्ति मारे गये थे और करीब एक सौ अन्य जख्मी हो गये थे। साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित को 2008 में ही गिरफ्तार किया गया था और दोनों तभी से जेल में बंद थे।
उच्च न्यायालय ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुये कहा था कि पहली नजर में उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है और उसे पांच लाख रूपए की नकद जमानत राशि देने पर रिहा करने और उसे अपना पासपोर्ट एनआईए के पास जमा कराने का निर्देश दिया था। राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने जहां साध्वी को क्लीन चिट दी थी वहीं उसने पुरोहित की जमानत का विरोध करते हुये कहा था कि उसके खिलाफ गंभीर किस्म के आरोप हैं। राष्ट्रीय जांच एजेन्सी द्वारा दाखिल रिपोर्ट का जिक्र करते हुये उच्च न्यायालय ने कहा था कि पुलिस ने हिन्दू राष्ट्र के लिये अलग अलग भगवा रंगा का ध्वज और अलग ‘संविधान’ तैयार किया था। रिपोर्ट में यह भी कहा था कि उसने हिन्दुओं पर मुसलमानों के अत्याचारों का बदला लेने के बारे में भी चर्चा की थी।
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मालेगांव विस्फोट: एनआईए और महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब सुप्रीम कोर्ट ने पुरोहित की याचिका पर
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