जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट प्रमुख और अलगाववादी नेता यासीन मलिक पर 25 जनवरी 1990 को भारतीय वायुसेना के कर्मियों पर आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप लगा है। आतंकी हमले में वायुसेना के स्कवॉड्रन लीडर रवि खन्ना समेत चार वायुसेना के कर्मियों की मौत हो गई थी। इस हमले में 10 लोग घायल हो गए थे। मामले में अभी तक यासीन मलिक को सजा नहीं मिली है। आतंकी हमले के वक्त यासीन मलिक चरमपंथी संगठन (JKLF) का एरिया कमांडर था जोकि कमांडर अशफाक वानी के अंडर काम करता था। 1994 में हुई एक मुठभेड़ में अशफाक वानी को सेना ने मार गिराया था।
बता दें कि 25 जनवरी 1990 को सुबह जम्मू-कश्मीर के रावलपुरा बस स्टैंड के समीप स्कवॉड्रन लीडर रवि खन्ना वर्दी में अपने सहायक कर्मियों के साथ एयरपोर्ट जाने के लिए वायुसेना की बस का इंतजार कर रहे थे, मगर करीब सुबह 7:30 बजे मारुति जिप्सी और बाइक पर सवार होकर आए JKLF के चार-पांच आतंकियों ने AK-47 से उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों द्वारा गोलीबारी में स्कवॉड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई जबकि 10 लोग घायल हो गए। इसमें सबसे हैरानी की बात ये है कि घटना से कुछ कदम की दूरी पर जम्मू-कश्मीर पुलिस पिकेट तैनात था। इसमें एक हेड कांस्टेबल और उनके सात सहयोगी सहित शामिल थे। लेकिन उनमें से किसी ने आतंकवादियों पर गोलियां नहीं चलाई। जिसकी वजह से आतंकी घटना को अंजाम देकर फरार हो हए।
हमले के बाद JKLF के एरिया कमांडर यासीन मलिक ने हत्यारों का बचाव करते हुए कहा कि वायुसेना के कर्मी निर्दोष नहीं थे। वो दुश्मन के एजेंट थे। एक साक्षात्कार के दौरान मलिक ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि इंडियन एयरफोर्स के कर्मी बस स्टैंड के पास बस का इंतजार कर रहे थे। उनके पास हथियार नहीं थे। हालांकि मलिक को तब गिरफ्तार किया गया था। उसे कई दिनों तक जेलों में रखा गया, मगर बाद में मेडिकल आधार पर उसको जमानत मिल गई। उसका पासपोर्ट भी जारी किया गया। लेकिन पासपोर्ट एक्ट के तहत किसी भी अपराध में शामिल व्यक्ति का पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता है।