इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि अपने संसदीय पदों को खाली करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अयोग्य ठहराए जाने के लिए दायर याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया दें। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पहले अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया था जिसके बाद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक मेहता और यूपी के वकील राघवेंद्र सिंह बुधवार (24 मई) को अदालत में उपस्थित हुए। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार की एक खंडपीठ ने संजय शर्मा द्वारा दायर की गई याचिका पर यह आदेश दिया। अदालत ने उनसे जवाबी हलफनामा देने के लिए कहा ताकि इस पर जल्द फैसला किया जा सके।
याचिकाकर्ता ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि एक सांसद राज्य सरकार में मंत्री नहीं बन सकता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सीएम योगी आदित्य नाथ और उपमुख्यमंत्री मौर्य की नियुक्ति को अलग रखा जाए। इनकी संसदीय सीट को खाली घोषित किया जाए। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 101 (2) का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता का दावा है कि यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दोनों ही अभी सांसद हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लोकसभा सांसद हैं, जबकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य फुलपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। चूंकि एक केंद्रीय अधिनियम की संवैधानिकता की अटॉर्नी-जनरल की सुनवाई के बिना जांच नहीं की जा सकती, इसलिए अदालत ने इस मामले पर उसे नोटिस जारी किया।