Sunday, December 22, 2024
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सुबह का भूला

SI News Today

नगर निगम चुनाव की करारी हार और पार्टी से बर्खास्त कपिल मिश्र की ओर से रोज लगाए जा रहे आरोपों पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लगता है अब ज्यादा न बोलने की कसम खा ली है। हालांकि, हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने और कपिल मिश्र को पानी के मुद्दे पर सजा देने वाले केजरीवाल मन ही मन समझ चुके हैं कि जनता के सिर चढ़ कर बोलने वाला उनका जादू तेजी से उतर रहा है। तभी वो कभी विधायकों के साथ डिनर कर उनका मन टटोल रहे हैं, तो कभी पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मेलन बुला रहे हैं। इससे भी बात बनती नहीं दिखी तो आखिरकार रविवार को वे अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता का हाल-चाल पूछने सड़कों पर निकल पड़े। कहते हैं कि सुबह का भूला, शाम को लौट आए तो भूला नहीं कहलाता, लेकिन वाकई शाम है या शाम का वो पहर भी बीत गया?

आंदोलनों से परेशान
भाजपा के दिग्गज नेता विजय गोयल केंद्र में मंत्री बन गए हैं, लेकिन दिल्ली की राजनीति से उनका मोह कम नहीं हो रहा। वैसे भी दिल्ली के मामलों की उन्हें अच्छी-खासी जानकारी है। वे समय-समय पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई न कोई मोर्चा खोले ही रहते हैं। आॅड ईवन के मामले में उन्होंने जिस तरह से केजरीवाल सरकार की कलई खोली, उसके बाद तो सरकार की फिर से इसे शुरू करने की हिम्मत ही नहीं हुई। उनकी लोक अभियान नामक संस्था सामाजिक मुद्दे ट्रीय नेताओं को भी अपने आंदोलन में शामिल करके उन्हें खुश रखते हैं।

जिम्मेदारी का जायजा
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय राजनीति में पैठ जमाने की इच्छा इस जनम में पूरी हो पाएगी, ऐसा लगता नहीं। पंजाब और गोवा में हार का मुंह देखने के बाद उन्होंने वापस दिल्ली पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। हालांकि वे दिल्ली पर ध्यान दे पाते, इससे पहले ही कभी उनके करीबी रहे कपिल मिश्र ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आजकल कपिल रोजाना केजरीवाल और उनकी सरकार के खिलाफ कोई न कोई खुलासा कर रहे हैं, जिससे केजरीवाल की नींद उड़ी हुई है। उन्हें लग रहा है कि जिस तरह से उन्होंने अपना आंदोलन दिल्ली से शुरू किया था, अब उन्हें फिर दिल्ली पर ही ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा। दिखावे के लिए ही सही, लेकिन इन दिनों केजरीवाल मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाते हुए अपने विभागों में चल रहे कामों का जायजा लेते और अधिकारियों की खबर लेते दिख हैं। शायद उन्हें लगता है कि इस तरह से वह एक बार फिर से दिल्लीवासियों का दिल जीत सकेंगे, पर ऐसा होगा, यह कहना फिलहाल मुश्किल है।

मुखबिरी की धौंस
दिल्ली पुलिस प्रहरी योजना को बहुत ही तामझाम के साथ लागू कर रही है। प्रहरियों ने पुलिस के साथ मिलकर काम करना और पुरस्कार बटोरना भी शुरू कर दिया है। हालांकि लोगों के मन में संदेह है कि ये प्रहरी कहीं पुलिस के मुखबिर न बन जाएं। दिल्ली पुलिस के मुखबिर की औकात और हैसियत किसी से छिपी नहीं है। पुलिस के हाथों में हाथ डाले इलाके में धौंस जमाते इसी तरह के मुखबिरों की करतूत आए दिन सामने आती रहती है। इलाके की हर उस गतिविधि पर मुखबिर सजग और सतर्क दिखते हैं जिससे उन्हें और उनके आकाओं को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष फायदा होता है। इसलिए पुलिस को प्रहरी योजना के लिए शुभकामना दी जानी चाहिए और उसे सतर्क किया जाना चाहिए कि ये प्रहरी आगे चलकर मुखबिर न बन जाएं।

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