भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर की प्रजनन प्रक्रिया फिलहाल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय है। राजस्थान हाई कोर्ट की एक सदस्यीय पीठ द्वारा केंद्र को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के निर्देश पर अलग तरह का विवाद खड़ा हो गया है। जस्टिस महेश चन्द्र शर्मा, जो कि यह फैसला सुनाने के बाद रिटायर हो गए, के तर्क का फेसबुक व ट्विटर पर पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है। शर्मा ने फैसला सुनाने के बाद कहा, ”जो मोर है, ये आजीवन ब्रह्मचारी है, कभी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता है, इसके जो आंसू हैं मोरनी उसे चुगकर गर्भवती होती है, और मोर या मोरनी को जन्म देती है।” शर्मा का यह बयान मीडिया की सुर्खियां बनते ही सोशल साइट्स पर ‘आंसुओं की बाढ़’ आ गई। वैज्ञानिक तरीके से देखें तो अन्य जंतुओं व पक्षियों की तरह मोर-मोरनी भी यौन क्रिया करते हैं। इसी तथ्य के आधार पर शर्मा के तर्कों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
सोशल मीडिया पर एक धड़ा इसे देश के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बता रहा है तो दूसरा मीडिया पर गैर-जरूरी बातों को भाव देने का आरोप मढ़ रहा है। मनोज झा लिखते हैं, ”नए भारत का उदय हो गया है जहां भय/भूख/मुफलिसी/रोज़गार से हटकर गाय और मोर के अंतरंग व्यवहार लोकविमर्श पर काबिज हैं। दुनियाभरमें डंका बज रहा है।” संजय यादव ने कहा, ”गाय,गंगा,गीता के बाद अब मोर। पीपल का पेड़ बाक़ी है दोस्त।” अली सोहराब ने जस्टिस शर्मा पर कटाक्ष करते हुए मोर-मोरनी के प्रजनन पर एक वीडियो शेयर किया है। उन्होंने साथ में लिखा है, ”मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए बनाया क्योंकि वह सेक्स नही करता-जस्टिस महेश चंद्र शर्मा। कांजी को आँसू की कमी है इसलिए विकास जन्म नहीं ले पा रहा।” फेसबुक व ट्विटर पर मोर-मोरनी की यौन क्रियाओं के वीडियो धड़ाधड़ अपलोड किए जा रहे हैं।
मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए बनाया क्योंकि वह सेक्स नही करता-जस्टिस महेश चंद्र शर्मा
कांजी को आँसू की कमी है इसलिए विकास जन्म नहीं ले पा रहा
— काकावाणी
मोर : *मुझे अपने हाल पे रोना आ रहा है*
मोरनी कंफ्यूज…साला दुःखी हो रहा है या गरम
भक्तों के बीच जाकर मोर बन जाता हूँ और उद्योगपतियों के बीच जाकर मोरनी बन जाता हूँ।
राम राज्य में काहे का जीडीपी काहे का विकाश?
यहां सिर्फ ” गाय, बैल, बकरी और मोर” पे बात होगी
“रोना कभी नहीं रोना, चाहे टूट जाए कोई खिलौना”
मोर मेरा रोने का दिल कर रहा है
राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ समन्वय में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिये आवश्यक कदम उठाये। न्यायमूर्ति महेश चन्द्र शर्मा ने मुख्य सचिव और महाधिवक्ता को गाय का कानूनी संरक्षक भी नियुक्त किया।