सीबीआई ने सोमवार (पांच जून) एनडीटीवी के प्रमोटरों प्रणय रॉय और राधिका रॉय के दिल्ली स्थित घर पर छापा मारा। सीबीआई ने साल 2008 और उसके बाद राय दंपति द्वारा लिए गए बैंक लोन मामले में छापेमारी की। रॉय दंपति ने ये लोन एनडीटीवी के शेयर खरीदनेके लिए लिए थे। एनडीटीवी के अनुसार रॉय दंपति ने ये लोन चुका दिए हैं और उनके खिलाफ सीबीआई ने नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर कार्रवाई कर रही है। सीबीआई द्वारा मारे गए छापे के बाद कई पत्रकारों ने इसे मीडिया को दबाने की कोशिश के तौर पर देखा। खुद एनडीटीवी ने अपने हिन्दी चैनल पर रात नौत बजे आने वाले प्राइम टाइम शो इसकी तुलना पोलैंड में 1981 में लगाए गए मार्शल लॉ से की। कार्यक्रम में एंकर रवीश कुमार ने आम लोगों से भी मीडिया के “दमन” के खिलाफ खड़े होने की अपील की।
कार्यक्रम में कुमार ने कहा, “मैं आपको एक बात बताता हूं फिर आप इसे अपने मन में रख लेना। दिल्ली जब आइयेगा तो पत्रकारों से मिलिएगा। मिलकर जो अनुभव होगा, उसे डायरी में लिखिएगा। मुझे पत्र लिखिएगा। आपको दिल्ली में दो तरह के पत्रकार मिलेंगे। एक जो डरे हुए हैं और एक जिन्हें डराया जा रहा है। जो डरे हुए हैं उनमें दो तरह के डरपोक मिलेंगे। एक जिन्हें डरने की काफी कीमत मिल रही है, दूसरे जिन्हें डर के बदले सिर्फ डर ही मिल रहा है।”
कार्यक्रम में रवीश कुमार ने पोलैंड में 12 दिसंबर 1981 को लगाए गए मार्शल लॉ के बाद आम लोगों का जिक्र किया। रवीश ने हानिया एम फेदरोविच के शोधपत्र के हवाले से बताया कि पोलैंड में जब तानाशाह सरकार ने टीवी पर खबरों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया तो आम लोगों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया। पोलैंड की जनता घरों के टीवी ऑन करके उन्हें खिड़की की तरफ घुमाकर अपने घर से बाहर टहलने के लिए निकल जाते थे। कार्यक्रम में रवीश ने कहा, “…गुस्से में प्रशासन ने बदला लेना शुरू कर दिया। शाम के वक्त बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए। जब इससे बात नहीं बनी तो सरकार ने यहां तक नियम बना दिये कि शाम के वक्त कितने लोग गलियों में घूमने के लिए निकलेंगे। ताकि कुछ लोग घर बैठ कर टीवी पर प्रोपैगैंडा देख सकें। नतीजा यह हुआ कि और भी बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर टहलने के लिए निकलने लगे।”
कार्यक्रम में रवीश ने बताया कि पोलैंड में सैन्य तानाशाह सरकार द्वारा मीडिया पर नियंत्रण करने के विरोध में लोगों ने अखबार खरीदने बंद कर दिए। रवीश ने बताया कि पोलैंड में आम जनता ने मीडिया पर नियंत्रण करने से जुड़े सरकार के एक नियम के विरोध में 13 दिंसबर 2016 को संसद को घेर लिया। पोलैंड की जनता द्वारा मीडिया के पक्ष में उठाए गए कदम का जिक्र करने के बाद रवीश कुमार ने भारतीय जनता से भी उनका अनुसरण करने की अपील की।
कार्यक्रम के अंत में रवीश ने कहा, “‘नेता चाहे हम पर जितना भी हमला करें, हम भारत में मीडिया की आज़ादी की लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे। ये अंतिम वाक्य है इस बयान का। इसमें एक वाक्य अपनी तरफ से जोड़ रहा हूं। पोलैंड की जनता की तरह लड़ाई का कुछ फर्ज़ आप भी अदा कीजिए। आपमें से बहुत लोगों ने इसे मीडिया की आज़ादी पर हमला माना है। आवाज़ उठाई है। बहुत से पत्रकारों ने इसका विरोध किया है।”