भारतीय निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर खुद के लिए “शक्ति” की मांग की है ताकि वो खुद पर “बेबुनियाद आरोप” लगाकर छवि बिगाड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सके। इंडियन एक्सप्रेस को मिली सूचना के अनुसार चुनाव आयोग चाहता है कि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 में संशोधन करके चुनाव आयोग की बात न मानने वाले या उससे सहयोग न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दिया जाए। चुनाव आयोग ने विधि मंत्रालय को ये पत्र करीब एक महीना पहले लिखा था। इस पत्र पर विधि मंत्रालय अभी विचार कर रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद देश के कानून मंत्री हैं।
अपने पत्र में चुनाव आयोग ने पाकिस्तानी चुनाव आयोग समेत कई अन्य देशों के चुनाव आयोगों का हवाला दिया है। चुनाव आयोग के अनुसार इन देशों के चुनाव आयोग उनकी छवि बिगाड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने इसी साल पूर्व क्रिकेटर और राजनेता इमरान खान को विदेशी चंदा लेने से जुड़े मामलों में पक्षपात करने के आरोप के बाद जवाब तलब किया। इमरान खान का मामला अभी भी पाकिस्तानी चुनाव आयोग में चल रहा है।
भारतीय चुनाव आयोग ने खुद के एक संवैधानिक संस्था होने के नाते और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों खास तौर पर आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा पिछले कुछ समय में लगाए गए आरोपों के मद्देनजर ये मांग की है। फिलहाल चुनाव आयोग के पास आरोप लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में धोखाधड़ी करके भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था।
अरविंद केजरीवाल ने इलेक्शन कमीशनर एके जोती और ओपी रावत पर भी पक्षपात करने का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप के बाद जोती और रावत को आम आदमी पार्टी से जुड़े मामलों से अलग कर लिया गया था। चुनाव आयोग ने तब कहा था कि वो नहीं चाहता कि उसकी विश्वसनीयता पर कोई आंच आए इसलिए ये फैसला लिया गया है।
केजरीवाल ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग के तीन आयुक्तों में से दो केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के करीबी हैं। केजरीवाल चुनाव आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ ऑफिस-ऑफ-प्रॉफिट (लाभ का पद) मामले पर सुनवाई के मामले से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे।