उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ से इफ्तार में रोजेदारों ने गाय के दूध से रोजा खोला। मंच के प्रांत संयोजक हसन कौसर द्वारा बालागंज लखनऊ कार्यालय में इस इफ्तार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पुरुषों के साथ ही काफी संख्या में महिलाओं ने भी शिरकत की। अन्य समुदाय के लोगों ने भी इफ्तार में हिस्सा लिया।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मीडिया प्रभारी आशुतोष सिंह ने बुधवार को बताया कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक संत मुरारी दास ने गौ माता के दूध का महत्व बताते हुए गौमांस के सेवन से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गाय का मांस सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन इसका दूध अमृत के समान है। पवित्र किताबों में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है।
इससे पहले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पिछले साल बकरीद के मौके पर ऐलान किया था कि वह बकरे की बलि नहीं देगा। मंच सदस्यों ने पांच किलो बकरे के साइज का केक बनवाया था और मंच के अवध प्रांत दफ्तर में काटा था। यही नहीं मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं ने ऐलान किया था कि वे घर पर बिरयानी न बनाकर सेवइयां बनवाएंगे।
गौरतलब है कि इस ग्रुप ने पहले ही कहा था कि रमजान में रोजा रखने वालों के लिए RSS की मुस्लिम शाखा उत्तर प्रदेश में इफ़्तार पार्टी आयोजित करेगी। लेकिन इस इफ़्तार पार्टी में अन्य इफ़्तार पार्टियों की तरह कबाब, पकौड़े, और मटन, चिकन कोरमा नहीं होगा, बल्कि इस पार्टी में रोजेदार एक ग्लास दूध पीकर रोजा तोड़ेंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आरएसएस की मुस्लिम शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक महिराज ध्वज सिंह ने कहा कि ये पहली बार हो रहा है कि रोजा रखने वाले मुस्लिम भाई दूध पीकर अपना रोजा तोड़ेंगे। इस अनोखी इफ़्तार पार्टी का मकसद गाय को बचाने संदेश देने के साथ ही गोमांस के सेवन से होने वाली बीमारियों के बारे में लोगों को जागृत करना है।
बता दें कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का गठन 2002 में RSS के तत्कालीन प्रमुख केएस सुदर्शन के प्रयासों के बाद किया गया था, इसका मकसद मुस्लिम समाज के लोगों तक संघ की पहुंच बनाना है। बता दें कि इस बार 26 या 27 मई से रोजे की शुरुआत होने वाली है। महिराज ध्वज सिंह ने कहा कि इफ़्तार में दूध और दूध से बने सामान पर जोर दिया जाएगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुताबिक मुस्लिम विद्वान भी मानते हैं कि गाय का दूध सेहत के लिए फायदेमंद है और दूध से बना घी दवा के जैसा काम करता है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कहना है कि रमजान के दौरान गाय को बचाने का संदेश देने के लिए विशेष नमाज भी पढ़ा जाएगा।