Saturday, December 21, 2024
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लालू यादव के बेटे तेजप्रताप बोले- लंदफंद आरोपों की परवाह नहीं

SI News Today

समोसे में आलू, दियारा में बालू और बिहार में लालू । यह जुमला काफी पुराना, लोकप्रिय और हकीकत के करीब है क्योंकि जो लोग बिन लालू बिहार की सियासत की उम्मीद लगाए बैठे हैं, वो मुगालते में हैं। राजद चीफ लालू यादव भले ही इन दिनों कानूनी तिकड़म में फंसे हों या सीबीआई (पिंजरे के तोते) और इनकम टैक्स विभाग के निशाने पर हों, मगर उम्र के 70वें पड़ाव में कदम रख चुके लालू को धर्मनिरपेक्षता के इरादों से डिगाना और गरीबों के मसीहा रूप में बनी उनकी छवि को बिगाड़ना 2019 तक तो मुश्किल लगता है। 27 अगस्त को पटना के गांधी मैदान में आयोजित होने वाली महारैली से बिहार का विपक्ष ही नहीं केंद्र सरकार भी परेशान है। तभी तो उन्हें घेरने की लगातार कोशिश हो रही है।

उनके बड़े बेटे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव ने धर्मनिरपेक्षता के अपने पिता के इरादों को और मजबूती देने के लिए धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (डीएसएस) का गठन ही नहीं किया बल्कि उसे परवान चढ़ाने में लगे हुए हैं। वे कहते हैं कि आने वाले कुछ महीनों में हमारा संघ बिहार-झारखंड के गांव-गांव में सक्रिय दिखेगा और हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई को बांटने की कोशिशों को नाकामयाब करेगा। इस संवाददाता ने उनके सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड पर बुधवार शाम 8 बजे इस बाबत झारखंड से मिलने आए अपने दल के पदाधिकारियों को जरुरी निर्देश देते देखा। उस वक्त झारखंड के पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, मधुपुर विधान सभा सीट से राजद से चुनाव लड़ चुके संजय भारद्वाज, मधुपुर जिला राजद के अध्यक्ष अरविंद यादव सरीखे नेता मौजूद थे। उस रोज लालू प्रसाद यादव विपक्षी एकता मुहिम के तहत दिल्ली गए हुए थे।

तेजप्रताप ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि तमाम कमेटियां भंग कर युवाओं को जोड़ना ही हमारा लक्ष्य है। लगे हाथ यह भी कहते हैं कि लंद-फंद आरोपों की हमें कोई परवाह नहीं है। कानूनी लड़ाई कानूनी तरीके से लड़ी जाएगी लेकिन हम अफवाह फैलाकर समाज के टुकड़े करने वालों के इरादों को चूर-चूर कर देंगे। तेजप्रताप कहते हैं कि मीडिया में कौन क्या कह रहा है, इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़नेवाला। दिल्ली में बैठकर बिहार में लालू प्रसाद की अहमियत का अंदाजा लगाना मुश्किल है। उन्होंने कहा, हमारा वजूद, हमारी ताकत हमारा वोटर है, जिनकी आवाज दबाना आसान नहीं है।

10 सर्कुलर रोड पर सुरक्षा पहरा सख्त है। आने-जाने वालों पर कड़ी नजर। दफ्तर के अंदर सभी आगंतुकों का बैठने के इंतजाम है। चाय-पानी से आवभगत की व्यवस्था है। वहां आनेवाले पार्टी कार्यकर्त्ता आवभगत और मुलाकात से खुश नजर आए। दरअसल, 2005 के चुनाव में अर्श से फर्श पर आए लालू एक दशक बाद 2015 में जनता जनार्दन की बदौलत ही सत्ता में लौटे हैं। नीतीश कुमार का साथ इनके लिए संजीवनी भी रही है। महागठबंधन ने ही नरेंद्र मोदी के विजय रथ को बिहार में रोका था। लालू यादव फिर से भाजपा के मिशन 2019 को फेल करने की कोशिशों में जुटे हैं। शायद यही वजह है कि भाजपा लालू यादव को बख्शने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाह रही है। तेजप्रताप कहते हैं कि 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में भी गोमांस का मुद्दा जबर्दस्त तरीके से उछालकर माहौल बिगाड़ने की कुचेष्टा हुई थी, जिसे महागठबंधन ने नाकामयाब कर दिया था और आज भी बिहार में माहौल महागठबंधन के पक्ष में ही है।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव और बगल में खड़े मधुपुर विधानसभा क्षेत्र से राजद टिकट से चुनाव लड़ चुके देवघर से आए संजय भारद्वाज।

राष्ट्रपति चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एक मंच पर लाने की पहल लालू यादव कर रहे हैं। यह कोशिश वक्त की नजाकत को भांपकर की जा रही है क्योंकि अगर विपक्ष एक नहीं हुआ तो सियासी समीकरण का जायका बिगड़ सकता है। इसलिए इस काम में पूरा लालू परिवार लगा हुआ है। चाहे पत्नी राबड़ी देवी हों या बेटी मीसा भारती या बेटा तेजप्रताप और तेजस्वी यादव। सभी सक्रिय राजनीति के अखाड़े में कूदकर कुलांचे भर रहे हैं। यह 2015 के सियासी समीकरण के बाद ही संभव हो पाया है।

इसबीच, भाजपा लालू परिवार की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने में लगी है। भाजपा के लोग तरह-तरह के आरोप भी इस परिवार पर जायदाद हासिल करने को लेकर लगा रहे हैं। अलबत्ता 27 अगस्त को बुलाई पटना के गांधी मैदान में महारैली एक दफा फिर लालू प्रसाद की ताकत को दिखा देगी। इसके लिए जल्द ही राजद नेताओं का दौरा गांव-गांव तक होने वाला है। तेजप्रताप बताते हैं कि झारखंड दौरे का भी जल्द कार्यक्रम बन रहा है। डीएसएस को मजबूती प्रदान करना उनका मुख्य लक्ष्य है।

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