दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तत्कालीन प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर सीबीआई के छापे की खबर मीडिया में सुर्खियों में रही थी। किसी राज्य के मुख्यमंत्री के सचिवालय में छापा मारना कितना नैतिक या कितना अनैतिक है इसे लेकर टीवी चैनलों पर घंटों बहस हुई। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राजेंद्र कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के लिए सीबीआई को सात महीने से इजाजत नहीं दी है। गृह मंत्रालय ने पांच महीने पहले कहा था कि उसने कुमार के खिलाफ जांच की इजाजत दे दी है लेकिन सीबीआई के अनुसार उसे आदेश नहीं मिला है।
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार एजेंसी ने दो दिसंबर 2016 को केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1989 बैच के आईएएस राजेंद्र कुमार के खिलाफ जांच के लिए गृह मंत्रालय से इजाजत मांगी थी। उसके एक हफ्ते बाद सीबीआई ने राजेंद्र कुमार एवं अन्य के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दायर किया। इस साल फरवरी में गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि राजेंद्र कुमार के खिलाफ जांच को मंजूरी दे दी गई है। दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट (डीएसपीई) अधिनियम के तहत किसी भी नौकरशाह के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है।
सीबीआई के एक अफसर ने कहा, “अभियुक्त के खिलाफ अदालत में आरोप तय किए जाने में इससे मुश्किल आ सकती है। जांच का आदेश न मिलने से मुकदमे के निपटारे में देरी हो सकती है।” सरकारी अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों के तेज निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में इस बाबत दिशानिर्देश तय किए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार मंत्रालय को तीन महीन के अंदर जांच के बारे में निर्णय देना होता है। राजेंद्र कुमार के खिलाफ दिसंबर 2015 में केस दर्ज किया गया था। जुलाई 2016 में राजेंद्र कुमार को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। कुमार इस समय जमानत पर हैं। भ्रष्टाचार का केस दर्ज होने के बाद कुमार ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी दी थी जो कथित तौर पर गृह मंत्रालय द्वारा खारिज कर दी गई।
भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देने वाले सतर्कता आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि “राजेंद्र कुमार का मामला गृह मंत्रालय में लटका पड़ा है।” हालांकि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि राजेंद्र कुमार के खिलाफ जांच का फैसला हो चुका है और उसे आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस अधिकारी ने कहा कि वो ये पता करने की कोशिश करेंगे मामला कहां “लटका हुआ है।” सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार राजेंद्र कुमार पर साल 2007 से 2015 के बीच दिल्ली सरकार से जुड़े विभिन्न ठेकों के आवंटन में धांधली करके सरकार को 12 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। सीबीआई ने कुमार पर आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया है।