राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शुक्रवार (23 जून) को राष्ट्रपति भवन में इफ्तार देंगे। सत्ता के गलियारों में ये चर्चा हो रही है कि संभव है अगले कुछ सालों तक अब शायद ही राष्ट्रपति भवन में इफ्तार हो। इस आशंका की वजह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा नेताओं का इतिहास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्रियों के उलट अपने तीन साल के कार्यकाल में रमजान में इफ्तार नहीं दिया है। कई अन्य भाजपा नेता और मंत्री भी इफ्तार की दावत देने से बचते रहे हैं।
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। भाजपा ने पार्टी के वरिष्ठ दलित नेता रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने पूर्व लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाया है। जदयू, टीआरएस और बीजद का समर्थन मिलने के बाद भाजपा नीत गठबंधन एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। अगर कोविंद राष्ट्रपति बनते हैं तो संभवत: अगले कुछ सालों तक के लिए राष्ट्रपति भवन में इफ्तार शायद ही हो।
मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान के दौरान मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला व्रत रहते हैं। वो इस दौरान कुछ भी नहीं खाते-पीते। शाम को रोजेदार कुछ खाकर अपना व्रत तोड़ते हैं जिसे इफ्तार कहते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इफ्तार देने की परंपरा शुरू की थी जिसे बाद के प्रधानमंत्रियों ने जारी रखा। भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने भी प्रधानमंत्री रहने के दौरान इफ्तार दिया था। कई अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी पीएम मोदी की राह पर चलते हुए इफ्तार नहीं दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी अभी तक इफ्तार की दावत नहीं दी है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 28 जून है। नाम वापस लेने की तारीख एक जुलाई है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 17 जुलाई को होगा और मतगणना 20 जुलाई को होगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रामनाथ कोविंद शुक्रवार (23 जून) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अपना नामांकन दायर करेंगे।