लखनऊ: प्रदेश सरकार ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी विधा को जनोपयोगी बनाने के लिए बजट में राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत 50 एकीकृत आयुष चिकित्सालय बनाने का लक्ष्य रखा है। यह चिकित्सालय लखनऊ, कानपुर, बरेली, बस्ती, कुशीनगर और वाराणसी में बनाए जाएंगे। प्रदेश में इनके विस्तार के लिए बजट में कुल 273.50 करोड़ रुपय खर्च का फ्रावधान है। इसके तहत 100 बिस्तरों वाले अस्पतालों के लिए जहां 85.50 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।
बरेली, मुरादाबाद व देवीपाटन मंडल मुख्यालयों पर 300 बिस्तरों का संयुक्त चिकित्सालय बनाने के लिए 33.25 करोड़ रुपये निर्धारित हैैं। इन मंडल मुख्यालयों पर मेडिकल कॉलेज नहीं हैैं। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 50 बिस्तरों वाले अस्पतालों के लिए 10-10 करोड़ रुपये की व्यवस्था है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के उद्देश्य से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 49.75 करोड़ रुपये और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 85 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
कैशलेस इलाज को 150 करोड़
राज्य कर्मचारियों और पेंशनधारकों की असाध्य बीमारियों के इलाज में कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इसके अलावा जिला संयुक्त चिकित्सालयों में विशिष्ट चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 125 करोड़ प्रस्तावित हैैं। लखनऊ स्थित डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल परिसर के विस्तार के लिए प्रदेश सरकार ने बजट में 19 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है
एक लाख की आबादी पर एक एंबुलेंस
रोगियों की जरूरत पर 15 मिनट में उन तक एंबुलेंस पहुंचाने के लिए 108 एंबुलेंस सेवा के औसत को डेढ़ लाख जनसंख्या से घटा कर एक लाख पर करने की योजना गई बनाई है। अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र-2017 में शामिल इस संकल्प की पूर्ति के लिए प्रदेश सरकार 712 अतिरिक्त एंबुलेंस को सेवा शामिल करेगी। रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कराने वाले कुष्ठ प्रभावित दिव्यांगों को आठ हजार रुपये मानदेय दिए जाने की व्यवस्था बजट में की गई है। साथ ही मौजूदा वित्तीय वर्ष में बचे जिलों में कुष्ठ रोग के उन्मूलन का भी लक्ष्य रखा गया है।