लखनऊ: परीक्षाओं में नकल पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 1998 में अधिसूचित हुए अधिनियम को अमली जामा पहनाने के लिए योगी सरकार 19 साल बाद इसकी नियमावली बनाकर उसे सभी राज्य विश्वविद्यालयों में लागू करने जा रही है। योगी सरकार की पहल पर उच्च शिक्षा विभाग ने उप्र सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का प्रतिषेध) नियमावली, 2017 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है जिसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी है।
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की परीक्षाओं में नकल जगजाहिर है। कुलाधिपति की हैसियत से राज्यपाल राम नाईक कई बार इस पर अप्रसन्नता जता चुके हैं। नकल पर रोक लगाने को लेकर योगी सरकार भी गंभीर है। परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए वर्ष 1998 में उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का प्रतिषेध) अधिनियम अधिसूचित किया गया था, लेकिन उसके प्रावधानों को लागू करने के लिए अभी तक कोई नियमावली नहीं बन पाई थी।
लिहाजा परीक्षा में नकल होने पर विश्वविद्यालय अपनी-अपनी परिनियमावलियों के मुताबिक कार्यवाही करते रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने हुए प्रस्तुतीकरण में उच्च शिक्षा विभाग ने उच्च शैक्षणिक संस्थानों में नकल रोकने के लिए नई नियमावली बनाकर उसे अधिसूचित कराने को अपने 100 दिन के लक्ष्य में शामिल किया था।
उच्च शिक्षा विभाग ने अब उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का प्रतिषेध) नियमावली, 2017 का प्रारूप तैयार किया है। नियमावली के ड्राफ्ट को अब कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की कवायद चल रही है।
मिलेगा सुनवाई का मौका: नियमावली में प्रावधान है कि परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करते पाये गए सभी परीक्षार्थियों के मामलों पर रिजल्ट घोषित होने के बाद एक उचित समयसीमा के अंदर निर्णय ले लिया जाएगा।
परीक्षार्थी पर कोई दंड लगाने से पहले परीक्षा समिति नकल के आरोपित परीक्षार्थी को अपने सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर सुनवाई का मौका देगी।परीक्षा रद करने का अधिकार: यदि विवि संतुष्ट है कि किसी केंद्र पर किसी विषय की परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनुचित साधनों का प्रयोग हुआ है तो उसे उस विषय की परीक्षा में परीक्षार्थियों के रिजल्ट निरस्त करने का अधिकार होगा, केंद्र की पूरी परीक्षा भी रद कर सकता है।