एक्टर और पॉलिटिशियन रवि किशन आज (17 जुलाई) को अपना 46वां बर्थडे मना रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें मुंबई में जब पहली सैलरी मिली तो उससे अपनी गांव में गिरवी जमीन को छुड़ाया था।
मिटटी के घर में रहते थे, खेत हो गए थे गिरवी
– लाइफ का एक किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि यूपी के जौनपरु में हमारी लाइफ बड़ी गरीबी में बीती है। हमारे खेत भी गिरवी थे। उसी बीच हम मुंबई में एक्टिंग करने के लिए चले गए, जहां काफी स्ट्रगल किया।
– स्ट्रगल के बीच ही हमें छोटा-मोटा रोल मिलना शुरू हो गया। इससे पहली कमाई हमारी 25 हजार रूपए हुई। इन्हीं रुपयों से हमने गांव में गिरवी रखे खेत छुड़ाए।
डेडबॉडी देख खाई थी कसम
– अपने बचपन का किस्सा शेयर करते हुए रवि किशन ने बताया कि करीब 12-13 साल की उम्र में मैं अपने पिताजी के साथ ही गांव में कहीं जा रहा था।
– तभी कुछ लोग एक डेडबॉडी लिए जा रहे थे, तो मैंने पिताजी से पूछा- ”किसकी डेथ हो गई”, तब उन्होंने कहा- मुझे नहीं मालूम, चुपचाप मेरे साथ चलो।
– ”तभी मैंने तय किया कि मुझे ऐसी मौत नहीं मरना कि बगल के गांव में रहने वाला व्यक्ति भी न जान सके कि कौन मर गया।”
– ”मेरा मानना है कि अगर धरती पर आया हूं तो कुछ ऐसा काम करूं, जिसकी वजह से लोग मुझे जाने।”
पापा को लगता था कि मैं गुंडा बन जाऊंगा
– वो कहते हैं- ”पापा को लगता था कि मैं गुंडा बन जाऊंगा। उन्हें मेरी संगत पसंद नहीं थी। उनका मानना था कि मैं नचनिया का काम करता हूं।”
– इसके लिए वो मुझे बेल्ट से पीटते थे। लेकिन उसके बाद भी मैंने एक्टिंग करना नहीं छोड़ा।
पिता जी ने कहा- मेरे घर में हुआ भगवान का जन्म
– जौनपुर में तो हम लोग मिटटी के घर में रहे हैं। जहां बड़ी तकलीफों में जिंदगी गुजारी है। ईश्वर का शुक्र है कि अब सब ठीक है।
– ”जब मैं पिताजी को लेकर पहली बार अपने मुंबई वाले घर पहुंचा, तो उनकी आंखों से आंसू आ गए। उन्होंने मां से कहा हमारे घर में भगवान ने जन्म लिया है।”
5 हजार में खरीदी थी पहली बाइक
– मुंबई में स्ट्रगल के दौरान बड़ा पाव और खिचड़ी खाकर रहता था। पैदल ही मुंबई के चक्कर लगाया करता था, क्योंकि जेब में ज्यादा पैसे नहीं होते थे।
– कुछ दिनों बाद जब छोटे-मोटे रोल मिलने शुरू हुए तो उन्ही में से पैसे बचाकर 5000 रुपए में एक बाइक खरीदी थी।