लखनऊ: योगी सरकार ने अपने श्वेत पत्र में पिछली सरकारों पर युवाओं में कुंठा और हताशा भरने का आरोप मढ़ा है। खासकर पिछली सपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। आरोप है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन जून, 2014 में किया गया था। आयोग गठित होने के पश्चात मार्च 2017 तक विभिन्न विभागों के विभिन्न श्रेणियों के समूह ग के पदों पर चयन की कार्यवाही में अनियमितता बरती गई। इन शिकायतों की जांच सतर्कता अधिष्ठान उत्तर प्रदेश से कराये जाने का निर्णय किया गया है।
पीसीएस परीक्षा की सीबीआइ जांच हो रही है। श्वेत पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में 31 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक की अवधि के संबंध में मुख्यत: पीसीएस एवं लोअर सब-आर्डिनेट परीक्षा में स्केलिंग के नाम पर एक क्षेत्र विशेष एवं जाति विशेष के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ाये जाने, परीक्षा का पेपर आउट होने पर भी परीक्षा निरस्त न करने और व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए उत्तर पुस्तिका बदले जाने जैसी तमाम अनियमितता पाई गई।
परीक्षाओं में धांधली के कारण योग्य परीक्षार्थियों के साथ अन्याय हुआ। सरकार इसकी सीबीआइ जांच करा रही है। पुलिस भर्ती में भी पिछली सरकारों के पक्षपात पूर्ण रवैए की जिक्र किया गया है। अनियमितता के कारण अदालतों में कई याचिका दाखिल हुई जिसके कारण आज करीब डेढ़ लाख पद रिक्त पड़े हैं। इसका खमियाजा सरकार को भुगतना पड़ रहा है।