लखनऊ: भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के तहत राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए गुरुवार को वाणिज्य विभाग के पांच और पुलिस महकमे की तीन अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया। ये सभी अयोग्य व दागी अधिकारियों की स्क्रीनिंग में चिह्नित थे। पिछले दिनों कई और विभागों के दागी अफसरों पर भी कार्रवाई हो चुकी है, जबकि शेष अन्य विभागों के ऐसे अफसरों को भी जल्द ही जबरन रिटायर किया जाएगा।
पचास साल से ऊपर के अधिकारियों की स्क्रीनिंग के तहत सरकार ने गुरुवार को जिन अधिकारियों को हटाने का फैसला किया उनमें वाणिज्य विभाग के निलंबित असिस्टेंट कमिश्नर-ग्रेड-2 केशव लाल भी शामिल हैं,
जिनके घर से आयकर विभाग ने करोड़ों की संपत्ति बरामद की थी। वाणिज्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी केशव लाल के ऊपर आय से अधिक आमदनी के आरोप हैं। स्क्रीनिंग में उनका नाम सबसे ऊपर था। कई और नामों को शामिल करते हुए विभाग ने सूची शासन को भेजी थी। इसके बाद वाराणसी में तैनात ज्वाइंट कमिश्नर डॉ. अनिल कुमार अग्रवाल, नोएडा में ज्वाइंट कमिश्नर हरीराम चौरसिया, सुलतानपुर में डिप्टी कमिश्नर कौशलेश और वाराणसी में असिस्टेंट कमिश्नर इंद्रजीत यादव को सेवानिवृत्त किया गया है। विभागीय अपर मुख्य सचिव आरके तिवारी ने बताया कि इन अधिकारियों की खराब वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट पर यह निर्णय लिया गया कि इन्हें सेवा में बनाए रखना उचित नहीं है।
तीन डिप्टी एसपी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति : इसी क्रम में सेवा काल में कई बार दंडित हो चुके तीन डिप्टी एसपी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। जल्द कुछ अन्य के खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। सरकारी सेवा में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार की अध्यक्षता में प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के 434 अधिकारियों की स्क्रीनिंग की गई थी। इसके बाद बहराइच में सीओ मैसी के पद पर तैनात डिप्टी एसपी केश करन सिंह, लखनऊ क्राइम ब्रांच में तैनात डिप्टी एसपी कमल यादव व पीटीसी मुरादाबाद में तैनात डिप्टी एसपी श्योराज सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। प्रमुख सचिव गृह ने बताया कि तीनों अधिकारियों को उनके सेवाकाल में लगातार कई दंड मिले हैं जिसके आधार पर कार्रवाई की गई।
आइपीएस की स्क्रीनिंग कमेटी गठित: शासन आइपीएस अधिकारियों की भी स्क्रीनिंग जल्द करेगा। मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में आइपीएस अधिकारियों की स्क्रीनिंग कमेटी गठित कर दी गई है। समिति में प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार, डीजीपी सुलखान सिंह व उत्तराखंड के डीजीपी अनिल रतूड़ी सहित पांच सदस्य शामिल हैं।
केशव के घर से मिले थे 11 करोड़ रुपये
वाणिज्य कर विभाग के एडीशनल कमिश्नर केशव लाल की कानपुर में तैनाती के दौरान उनके आवास से गत अप्रैल में आयकर अधिकारियों ने 11 करोड़ रुपये बरामद किए थे। इसके अलावा आठ किलो सोने के जेवर, दो किलो बुलियन तथा सात संपत्तियों के कागजात मिले थे। उसके बाद ही उन्हें निलंबित कर लखनऊ में अपर निदेशक (प्रशिक्षण) कार्यालय से संबंद्ध कर दिया गया था। छापे में एक तथ्य यह भी उभर कर आया था कि उनकी पत्नी एक सॉफ्टवेयर कंपनी की मालकिन हैं।
बीएसए स्तर के आठ अफसर जबरन किये जाएंगे रिटायर
बेसिक शिक्षा विभाग में बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर (समूह ‘ख) के आठ अफसरों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश की गई है। यह वे अधिकारी हैं जिन्हें पहले वृहद दंड मिल चुका है। 50 वर्ष से अधिक उम्र के इन अफसरों में से कुछ निलंबित हैं और कुछ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में व अन्यत्र तैनात हैं। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह की अध्यक्षता में गठित विभागीय स्क्रीनिंग कमेटी की गुरुवार को हुई बैठक में शिक्षा सेवा समूह ‘ख के 171 अफसरों के सर्विस रिकॉर्ड की पड़ताल की गई। अभिलेखों की जांच परख के बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने इनमें से आठ अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए शार्टलिस्ट किया। स्क्रीनिंग कमेटी ने अपनी सिफारिश मुख्य सचिव राजीव कुमार को भेजी है। उनके माध्यम से फाइल मुख्यमंत्री को जाएगी।
राज्य के बारह हजार अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया है। इसके साथ ही अयोग्य और अक्षम अधिकारियों-कर्मचारियों को सेवा से हटाने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक जिन भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है उनका पूरा ब्योरा विभिन्न विभागों से मांगा गया है। शासन-प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त बनाने को सरकार संकल्पबद्ध है।