मुंबई उच्च न्यायालय ने आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल से सीबीआई को मिली मंजूरी को शुक्रवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हालांकि सीबीआई ने मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगते वक्त दावा किया था कि उसके पास चव्हाण के खिलाफ नए सबूत हैं, लेकिन वह कोई नया सबूत पेश करने में असफल रही।
पीठ ने कहा कि सीबीआई ने राज्यपाल सी विद्यासागर राव के समक्ष जो सामग्री पेश की है, उसे चव्हाण के खिलाफ नए प्रामाणिक सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता। अदालत ने कहा, ‘‘स्वीकृति प्राधिकार एक स्वतंत्र इकाई है जो कि किसी की राय से खुद को प्रभावित नहीं होने दे सकती।’’
पीठ आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाने के लिए फरवरी 2016 को राज्यपाल से मिली मंजूरी को चुनौती देने वाली चव्हाण की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। चव्हाण ने राव के आदेश को चुनौती देते हुए इसे मनमाना, अवैध और औचित्यहीन करार दिया था तथा कहा था कि यह दुर्भावनापूर्ण इरादे से पारित किया गया है।