हिंदी सिनमें जगत में ऐसे कई स्टार्स हैं जिन्होंने बचपन से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उन्हीं मे से एक थीं एक्ट्रेस चित्रा। हैदराबाद की रहने वाली चित्रा ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट हिंदी सिनेमा जगत में कदम में रखा था। इसके बाद बड़ी हुईं तो हीरोइन बन गईं। चित्रा ने अपने फिल्मी करियर में करीब 85 फिल्मों में काम किया था जिनमें मानों ना मानों, जलपरी, चोर बाजार, इंद्रसभा और टार्जन जैसी फिल्में शामिल थी। चलिए आज हम आपको वेटरेन एक्ट्रेस चित्रा के साथ बचपन में हुए एक हादसे के बारे में बताते हैं। इस हादस में वह बाल-बाल बची थीं।
यह वाकया 40 के दशक का है, उस वक्त चित्रा की उम्र तकरीबन 6 वर्ष रही होंगी। चित्रा अपने परिवार के साथ हैदराबाद में रहती थीं। उन दिनों चित्रा को अफसरून के नाम से पुकारा जाता था। वह पिता के साथ हैदराबाद शहर घूमने निकली थीं। सैर सपाटे के बाद बेटी और पिता वापस घर लौट रहे थे तभी उनके साथ यह हादसा हुआ था।
दरअसल घर लौटते वक्त रास्ते में एक रेलवे स्टेशन पड़ता है। पिता चाहते थे कि रेल की पटरी को पार करके जल्दी घर पहुंच जाएं। वह पहले भी वहां से इसी तरह गुजर चुके थे। बेटी और पिता रेलवे स्टेशन से गुजर ही रहे थे कि बेटी पिता से थोड़ा पीछे रह गई। पीछे छूटने के बाद बेटी चित्रा का पैर फिसल गया और वह पटरी के बीच में गिर गई।
चित्रा ने पिता को गिरने के बाद कई आवाज लगाई और जब तक पिता ने पीछे मुड़कर देखते तब तक ट्रेन कुछ ही दूरी पर पहुंच चुकी थी। कुछ भी करने का समय निकल चुका था। पिता ने देखा की बेटी का हाथ पटरी पर है तो उन्होंने जल्दी से बेटी का हाथ लिया और पटरी के बीच के गड्ढे में धकेल दिया। बेटी को ट्रेन के नीचे धकेल पिता बिलख-बिलख कर रोने लगे और भगवान से बेटी की सलामती की भीख मांगने लगे। ट्रेन चित्रा के ऊपर से गुजरी तो वह गड्ढे में दुबकी हुई पड़ी थीं। बेटी को सही सलामत देख पिता ने उन्हें सीने से लगा लिया और रोते हुए घर ले आए। इसे कहते हैं जाको राखे साइयां मार सके ना कोय।